चर्चित बरसाती हत्याकांड में सात पुलिसकर्मियों पर चलेगा केस।कोर्ट ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट की की खारिज। देहरादून में 2012 में पुलिस हिरासत में हुई थी मौत
नरेन्द्र राठौर
रुद्रपुर। प्रदेश में बर्ष 2012 हुए चर्चित अजय बरसाती हत्याकांड में न्यायालय ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट खारिज कर दी है। आरोप था कि अजय के साथ चौकी में मारपीट की गई थी जिससे उसकी जेल में मौत हो गई। न्यायालय ने इस क्लोजर रिपोर्ट को ही चार्जशीट मानते हुए तत्कालीन धारा चौकी प्रभारी पीडी भट्ट समेत सात पुलिसकर्मियों को आरोपी ठहराया है।
इन आरोपियों पर अब हत्या का मुकदमा चलाया जाएगा। न्यायालय ने सभी को समन जारी करते हुए एक फरवरी 2023 को कोर्ट में प्रस्तुत होने के आदेश दिए हैं। बता दें कि कोतवाली की धारा चौकी पुलिस ने 12 सितंबर 2012 को चोरी के आरोप में 35 वर्षीय अजय बरसाती को गिरफ्तार करने का दावा किया था। इसी दिन उसे न्यायालय के आदेश पर जेल भेज दिया गया। वहां तबीयत खराब हुई तो उसे अस्पताल ले जाया गया। लेकिन, डॉक्टरों ने अजय को मृत घोषित कर दिया।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण मायोकार्डियल इंफार्क्शन (दिल का दौरा) आया था। मामले में पुलिस के एक अधिकारी की ओर से मुकदमा दर्ज कर लिया गया था। कुछ दिन की जांच के बाद मुकदमे में एफआर लगा दी गई। इसके बाद अजय की पत्नी ने हाईकोर्ट में सीबीआई जांच की अर्जी दी। हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई की लखनऊ क्राइम ब्रांच में सभी पुलिसकर्मियों के खिलाफ अवैध हिरासत में रखने, हत्या और आपराधिक षड्यंत्र के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।
मारपीट के आरोप में सस्पेंड हुए थे पुलिसकर्मी
पत्नी सुमन देवी ने अजय के साथ चौकी में मारपीट का आरोप लगाया था। तत्कालीन एसएसपी ने चौकी प्रभारी पीडी भट्ट, दरोगा बलदेव सिंह, दरोगा देवेंद्र गौरव, दरोगा विनय सिंह गुसाईं (मृत्यु हो चुकी है), दरोगा केसी भट्ट, कांस्टेबल धीरेंद्र सिंह पटियाल, कांस्टेबल चंद्रप्रकाश और अनूप भाटी को सस्पेंड कर दिया था।
सीबीआई की भी एक साल बाद क्लोजर रिपोर्ट
सीबीआई ने भी शुरुआती जांच के आधार पर करीब एक साल बाद 27 सितंबर 2013 को स्पेशल सीबीआई मजिस्ट्रेट की कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट लगा दी। इसके खिलाफ अजय की पत्नी ने आपत्ति दाखिल की। आरोप लगाया कि सीबीआई ने भी पुलिस के अधिकारियों की तरह इसे सत्यता से नहीं जांचा है। क्लोजर रिपोर्ट सत्यता से परे है। इसमें न तो अजय के मोबाइल लोकेशन का जिक्र है और न ही मुख्य गवाह की गवाही। न्यायालय ने भी सभी तथ्यों की जांच करते हुए पाया कि सीबीआई ने केवल मेडिकल रिपोर्ट और पुलिसकर्मियों की गवाही के आधार पर ही क्लोजर रिपोर्ट लगा दी।
एक फरवरी को होंगे पेश
स्पेशल न्यायिक मजिस्ट्रेट सीबीआई संजय कुमार की अदालत ने तत्कालीन चौकी प्रभारी पीडी भट्ट, दरोगा बलदेव सिंह, दरोगा देवेंद्र गौरव, कांस्टेबल धीरेंद्र सिंह पटियाल, कांस्टेबल चंद्रप्रकाश, अनूप भाटी और कोतवाली के दरोगा केसी भट्ट को हत्या का आरोपी पाया। तथ्यों के आधार पर पाया कि अजय को 12 सितंबर 2012 को नहीं बल्कि चार सितंबर 2012 को गिरफ्तार किया गया था। इस दरम्यान उसके साथ मारपीट की गई। उसके शरीर पर गंभीर चोटें आईं। 12 सितंबर को जेल में तबीयत खराब होने के बाद उसकी मौत हो गई। अदालत ने इन सभी आरोपियों को एक फरवरी 2023 को पेश होने के आदेश दिए हैं।