तो क्या तहसील में अवैध कर्मी करते फाइलों पर साइन! पटवारी और नयाव तहसीलदारों के साथ काम करते हैं, प्राइवेट लोग। प्रमाण पत्रों बनाने के नाम पर लोगों से सुविधा शुल्क से लेकर विवादित फाइलों को निपटाने का करते है काम।
नरेन्द्र राठौर
रुद्रपुर। ऊधमसिंहनगर जिला मुख्यालय पर मंडलायुक्त दीपक रावत की फिल्मी अंदाज में की गयी रेड में मिली खामियां और 143 की फाइल हैंड राइटिंग का किसी भी अधिकारी के हस्ताक्षर से मिलान न मिलने से बड़ा सवाल खड़ा हो गया। आखिर मंडलायुक्त के हत्थे लगी 143 की फाइलों पर किसके हस्ताक्षर हैं।क्या पटवारी और नयाव तहसीलदारों के निति कर्मी फाइलों पर रिर्पोट लगाने के साथ ही उनपर अधिकारियों के हस्ताक्षर भी कर रही रहे,यह सवाल खड़े हो गए हैं। फिलहाल मंडलायुक्त के दौरान मिली ऐसी फाइलों पर हुए हस्ताक्षर की जांच के लिए कमेटी गठित हो गरी, लेकिन सच क्या है यह कम से कम तहसीलदार और एसडीएम जानते हैं,यह बात दावे के साथ कहीं जा सकती है। क्योंकि तहसील से लेकर पटवारी और नायव तहसीलदारों के साथ घूमने वाले इन कर्मियों की जानकारी अधिकारियों को नहीं है,यह बात समझ से परे है। जनता यह बात अच्छी तरह जानती है। जसपुर में पटवारी से हुए विवाद के बाद विधायक आदेश चौहान ने भी यह कहीं थी, सूत्रों की मानें तो पटवारियों के यह निजी कर्मी बड़े बड़े खेल कर रहे हैं। आम जनता से प्रमाण पत्र बनाने के नाम पर इनसे सुविधा शुल्क लिया जाता है,तो विवादित जमीन के खेल भी यह निपटा रहे हैं, रुद्रपुर तहसील में भी ऐसे एक दर्जन निजी कर्मी अक्सर घूमते नजर आ जाते हैं। शहर फाजपुर महरौल में सीलिंग की जमीन पर अवैध निर्माण में ऐसे कर्मियो की अहम भूमिका है,तो तहसील के गोपनीय मामलों को भी यह लोग दोषियों तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं। बताया तो यह भी जाता है की यह कर्मी भूमाफियाओं और अवैध रूप से कालौनी काटने वाले लोगों के लिए मुफीद साबित हो रहे हैं। कुलमिलाकर पटवारी और ध्यान तहसीलदारों ने अपनी पूरी जिम्मेदारी इन्हें सौंप रखी है।