प्रशासन ने कतरे अटरिया मंदिर समिति के पर।सिर्फ मंदिर की चार दीवारी तक बचा राज।सुलहा की कोशिश भी रही नाकाम।22.35 लाख में ठेका लेने वाला ठेकेदार लगायेगा में मेला प्रशासन ने मौके पर पहुंच कर मंदिर समिति को बताई हद।
नरेन्द्र राठौर
रुद्रपुर। क्षेत्र का प्रसिद्ध अटरिया मंदिर पर लगने वाला मेला इस बार ठेकेदार ही लगायेगा।
प्रशासन ने सरकारी जमीन की पैमाईश करने के बाद खुली बोली में 22.35 लाख रुपया का ठेका लेने वाले ठेकेदार को इसकी परमीशन दे दी है। प्रशासन ने मंदिर समिति के पर पूरी तरह कतर दिए हैं। जिसके तहत मंदिर समिति का अधिकार मंदिर की चार दिवारी तक बचा है।वहीं ठेकेदार का मुंडन स्थाल भी अधिकार हो गया है। मंदिर समिति अपनी जमीन पर भी मेला नहीं लगा पायेगी,क्योकी उनकी जमीन को जाने वाले सभी रास्ते सरकारी जमीन से होकर जाते हैं,उसे ठेकेदार बंद करा सकता है।
गुरुवार को जैसे ही माता का ढोला मंदिर पहुंचा,वैसे ठेकेदार ने एसडीएम कार्यालय में अर्जी दाखिल कर दी।उसका कहना था मेला क्षेत्र में मंदिर समिति की तरह अवैध रूप से दुकानें लगवाई जा रही,ऐसे वह प्रशासन को पूरा भुगतान कहा से करेगा। ठेकेदार की शिकायत पर तत्काल प्रशासन की टीम मौके पर पहुंच गयी।नयाब तहसीलदार और मेला कमेटी के अध्यक्ष ने मंदिर कमेटी के सचिव को उसकी हद बता दी, जिसपर काफी बहस भी हुई, बाद में दोनों पक्षों के बीच बीच का रास्ता निकालने को वार्ता भी हुई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। जिसके बाद प्रशासन ने सरकारी जमीन पर मेला लगाने का हक ठेकेदार को दे दिया। प्रशासन की तरफ से साफ किया गया है,की व्यवधान डालने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी। मेला का ठेका लेने वाले ठेकेदार राजेश कुमार नारंग का कहना था की वह मुंडन की जगह जो उनके अधिकार क्षेत्र में आ रही थी,वह मंदिर समिति को देने को तैयार थे, इसके बदले उन्होंने दूसरी दुकानें मांगी थी,लेकिन मंदिर समिति सचिव ने उन्हें देने से इंकार कर दिया।जिससे वार्ता विफल हो गई है।अब प्रशासन ने उन्हें जो भूमि दी वह उसपर मेला लगायेंगे। इधर मंदिर समिति की तरफ नदी के किनारे अपनी जमीन पर लगवाई गयी दुकानों पर भी संकट खड़ा हो गया है। बताया जा रहा की पीछे जाने का कोई रास्ता नहीं है, ठेकेदार अपनी जमीन को पूरी तरह बंद करा देगा तो फिर लोग वहां तक कैसे पहुंचेंगे यह बड़ा सवाल है। गौरतलब है मेला से होने वाली मोटी कमाई के चक्कर में मंदिर और मेला समिति में काफी समय से विवाद चल रहा था, एसडीएम ने दोनों पक्षों के विवाद के चलते क्षेत्र में जमीन की नपाई कराई तो पता की करीब एक एकड़ जमीन सरकारी है, दोनों पक्षों सरकारी जमीन पर भी मेला लगाकर कमाई कर रहे हैं, जिसपर एसडीएम ने एक कमेटी बनाकर सरकारी जमीन पर मेला लगाने के लिए खुली बोली क्या दी,जिसका ठेका राजेश कुमार नारंग को मिला है। सरकार को पहली बार करीब 26 लाख का प्याला हो रहा है। जबकि लंबे समय यह पैसा मंदिर समिति की जेंव में जा रहा था।