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तिरंगा यात्रा से पहले रुद्रपुर में कांग्रेसियों ने फूंका भाजपा का पुतला।बोले ट्रिपल इंजन की सरकार फेल। नाकामी से ध्यान भटकाने के लिए कर रहे ड्रामा

नरेन्द्र राठौर 

रुद्रपुर (खबर धमाका)। ट्रांजिट कैम्प की दुर्दशा के खिलाफ महानगर कांग्रेस कमेटी ने शनिवार को विरोध प्रदर्शन के बीच ट्रपल इंजन सरकार का पुतला फूंका। इस दौरान भाजपा सरकार के साथ मेयर और विधायक के खिलाफ भी नारेबाजी की गयी।

कांग्रेस जिलाध्यक्ष हिमांशु गावा, महानगर अध्यक्ष सीपी शर्मा और महानगर महामंत्री अर्जुन विश्वास, के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ता ट्रांजिट कैम्प मार्ग गोल मढ़ैया पर एकत्र हुए। कांग्रेसियों ने भाजपा सरकार, मेयर, सांसद और विधायक पर ट्रांजिट कैम्प की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए ट्रपल इंजन सरकार का पुतला जलाया। इस दौरान सरकार के साथ ही भाजपा के जनप्रतिनिधियों के खिलाफ भी नारेबाजी की गयी।

पुतला दहन करते कांग्रेसी 

विरोध प्रदर्शन के दौरान जिलाध्यक्ष हिमांशु गावा ने कहा कि चुनाव नजदीक देखकर भाजपा को फिर ट्रांजिट कैम्प की याद आने लगी है। पिछले करीब दो दशक से ट्रांजिट कैम्प में भाजपा का राज रहा है। इसके बावजूद आज ट्रांजिट कैम्प की जनता मूलभूत सुविधाओं के लिए भी तरस रही है। भाजपा के नेता चुनाव के दौरान ट्रांजिट कैम्प की जनता से बड़े बडे वायदे करके जाते हैं लेकिन चुनाव के बाद ट्रांजिट कैम्प की याद इन नेताओं को नहीं आती। आज ट्रांजिट कैम्प में सड़कों नालियों का बुरा हाल है। लोगों को आवागमन में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सड़कों की हालत ठीक नहीं होने से आये दिन दुर्घटनायें हो रही है। व्यापारी अपना कारोबार नहीं कर पा रहे है। ऐसे हालातों के बावजूद भाजपाई ट्रांजिट कैम्प से तिरंगा यात्र निकालकर यहां की जनता का मजाक उड़ा रहे हैं। भाजपाईयों को यहां से तिरंगा यात्र निकालने के बजाय अपनी सरकार और जनप्रतिनिधियों को जगाने के लिए यात्र निकालनी चाहिए। पिछले साल भी भाजपाईयों ने ट्रांजिट कैम्प में खस्ताहाल सड़कों से होकर तिरंगा यात्र निकाली थी आज हालात और भी बदतर हैं लेकिन भाजपाई फिर भी बेशर्मी से जर्जर सड़क पर तिरंगा यात्र निकालकर तिरंगे का भी अपमान कर रहे हैं।                    महानगर अध्यक्ष सीपी शर्मा ने कहा कि मेयर ने ट्रांजिट कैम्प को चमकाने का वायदा किया था लेकिन आज ट्रांजिट कैम्प का सबसे बुरा हाल है। ट्रांजिट कैम्प में रहने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता भी अपने क्षेत्र की हालत को सुधारने में नाकाम साबित हुए हैं। नगर निगम में भाजपा का शासन है प्रदेश और केन्द्र में भी भाजपा की सरकारें हैं। इसके बावजूद ट्रांजिट कैम्प का बुरा हाल है। मेयर ने ट्रांजिट कैम्प वासियों को मालिकाना हक दिलाने की कसम खाई थी जो झूठी साबित हुई और मेयर घड़ियाली आंसू बहाकर बेशर्मी से अपनी कुर्सी पर बैठ गये। ट्रांजिट कैम्प वासियों को मालिकाना हक मिलना तो दूर अब नजूल पर बसे लोगों को बिजली का मीटर भी नहीं मिल पा रहा है। यह ट्रांजिट कैम्प की जनता के साथ धोखा है। भाजपा के नेता अपनी पार्टी को बंगाली समाज का हितैषी बताते हैं लेकिन रूद्रपुर की बांगाली बाहुल्य बस्ती में लोगों को मूलभूत सुविधाएं भी नसीब नहीं हो पा रही है। यह बंगाली समाज का खुला अपमान है। मेयर को सिर्फ पूंजीपतियों के हितों की चिंता है। गरीबों की बस्तियों में मेयर और विधायक झांकने भी नहीं आते। इस अनदेखी का बदला ट्रांजिट कैम्प की जनता आगामी निकाय और लोकसभा चुनाव में लेगी तिरंगा हर भारतीय के दिल में बस्ता है तिरंगे की आड़ में विकास को छुपाना चाहते हैं भाजपा के लोग और विभाजन विभीषिका का दर्द कुरेदने के अलावा क्या सम्मान दिया उनको कोई पेंशन सुविधा या सरकार में भागीदारी दें तो हम समझे की ये हितैषी हैं जिस प्रकार कांग्रेस ने बंगाली परिवारों को बसाया उनको जमीन घर देकर उनको स्थापित किया और देश के स्वतंत्रता सेनानियों को सर्वोच्च स्थान देकर सम्मान के साथ उनकों बहुत कुछ देने का काम किया है भाजपा कुछ ऐसा करके तो दिखाए

महामंत्री अर्जुन विश्वास ने भी भाजपा सरकार, विधायक और मेयर को जमकर कोसा। उन्होंने कहा कि ट्रांजिट कैम्प का इतना बुरा हाल कभी नहीं हुआ। लोग नारकीय जीवन व्यतीत करने को मजबूर हैं। सड़कें और नालियां नहीं बनने से बारिश का पानी घरों में घुस रहा है। जलभराव से निपटने के दावे हवाई साबित हो रहे हैं। जिस ट्रांजिट कैम्प की जनता के सहारे भाजपा ने सांसद, नगर निगम और विधानसभा चुनावों में विजय हासिल करती रही है उस ट्रांजिट कैम्प की आज सुध लेने वाला कोई नहीं है। ऐसे में भाजपाईयों को ट्रांजिट कैम्प से तिरंगा यात्र निकालने का कोई अधिकार नहीं है। भाजपा नेताओं को इस बार अपनी करनी का फल भोगना होगा।

इस अवसर पर उमा सरकार, सुनील आर्य, सुरेश यादव, बाबू विश्वकर्मा,सतीश कुमार, ममता रानी, बेबी सिकदर, दिलीप अधिकारी, गोपाल भसीन, जमील खान, अबरार अहमद, शुभान अली पाशा, लोकेश यादव, राधेश्याम बंसल, मोहन खेड़ा, शंकर कोली, हरिराम राजपूत, विपिन रस्तौगी, राजेश प्रेमपाल, मानस बैरागी, आसित बाला, मनोज, जगदीश कर्मकार, राजीव गंगवार, प्रमोद कुमार, दिनेश कुमार, महेश यादव, बिट्टू, सोनी, पवन आदि शामिल थे।

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