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राष्ट्रीय

मनोविज्ञान और प्रौद्योगिकी: दिमाग और डिजिटल दुनिया के बीच का ख़ज़ाना

डॉ भारत पाण्डे
असिस्टेंट प्रोफेसर
रसायन विज्ञान विभाग
सरदार भगत सिंह राजकीय महाविद्यालय,रूद्रपुर

रुद्रपुर (खबर धमाका)। मनुष्य का मन और तकनीकी प्रगति के बीच एक गहरा संबंध हमेशा से रहा है। यह संबंध आज के युग में और अधिक महत्वपूर्ण हो गया है, जहां प्रौद्योगिकी ने हमारे जीवन के हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ दी है। अब हमारी आधुनिक दुनिया डिजिटल हो गई है, और इसका असर हमारे मानसिक स्वास्थ्य और मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाओं पर सीधा पड़ता है।

इंटरनेट, स्मार्टफोन, सोशल मीडिया, गेम्स और अन्य तकनीकी उपकरणों के विकास ने मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण को बदल दिया है। सामाजिक मीडिया के उपयोग के कारण, मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहे हैं। लोगों का ध्यान बचाने की क्षमता कम हो रही है, और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता खो रही है। यह अनियंत्रित इंटरनेट उपयोग के चलते ध्यानाभाव विकार को बढ़ावा देता है।
साथ ही, गेम और समय-समय पर इंटरनेट पर अनुचित सामग्री देखने का आदान-प्रदान मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। यह भी संभव है कि लोग अधिक मात्रा में स्क्रीन के सामने बिताएं, जिससे उनका शारीरिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। लंबी समय तक बैठे रहना, कम शारीरिक गतिविधि, नियमित आहार की कमी, और अन्य कारकों के कारण स्थूलता, मोटापा और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

इसके विपरीत भी, प्रौद्योगिकी हमारे मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में भी मदद कर सकती है। एक गठनशील और अभिनव उपयोग के साथ, इंटरनेट और स्मार्टफोन के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य सम्बंधित जानकारी, संगठन टूल, मनोरंजन, और मनोवैज्ञानिक अभ्यासों की विभिन्न सेवाएं उपलब्ध होती हैं। मनोविज्ञान और प्रौद्योगिकी का संयोग हमें नई और सुगमता से उपलब्ध होने वाली मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचने में मदद कर सकता है और हालांकि, इंटरनेट का अधिक उपयोग करना भी एक प्रकार की आध्यात्मिक तनाव उत्पन्न कर सकता है। सोशल मीडिया पर अतिरिक्त वक्त बिताने से लोग अक्सर अपनी खुद की तुलना में दूसरों के साथ अधिक तुलना करते हैं, जो मानसिक दबाव पैदा कर सकता है। इंटरनेट की वजह से लोग अक्सर अपने शारीरिक और सामाजिक पर्यवेक्षण को भूल जाते हैं और इसके बजाय आशा, असंतोष और तनाव की स्थिति में जीने लगते हैं। ऐसे मामलों में, इंटरनेट का उपयोग सीमित रखना और नियमित ध्यान अभ्यास करना महत्वपूर्ण हो सकता है।और, आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखें तो इंटरनेट एक उपयोगी साधन हो सकता है। इंटरनेट के माध्यम से हम धार्मिक ज्ञान, आध्यात्मिक साहित्य, पूजा-अर्चना के विधान आदि के बारे में जान सकते हैं। इसके अलावा, आध्यात्मिक गुरुओं की उपदेशों, सत्संगों और ध्यान के तकनीकों को भी इंटरनेट के माध्यम से सीखा जा सकता है। इंटरनेट की मदद से हम आपसी आध्यात्मिक सम्पर्क बना सकते हैं और एक आध्यात्मिक समुदाय के सदस्यों के साथ संवाद कर सकते हैं। इससे हमारा आध्यात्मिक ग्रोथ हो सकता है और हम अपनी साधना को आगे बढ़ा सकते हैं।

तो आपसे अनुरोध है कि इंटरनेट के सकारात्मक और आध्यात्मिक उपयोग को बढ़ावा दें और इसे संतुलित रखें ताकि हम इंटरनेट का सही तरीके से उपयोग कर सकें।

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