केंद्र सरकार ने गन्ना किसानों के साथ किया धोखा, विर्क।10 रुपए की बढ़ोत्तरी को बताया नाकाफी,गन्ने का मूल्य500 प्रतिकुंतल करने की मांग
नरेन्द्र राठौर
रुद्रपुर (खबर धमाका)। तराई किसान संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष तजिंदर सिंह विर्क ने कहा कि केन्द्र सरकार ने गन्ने के भाव में 10 की बढ़ौतरी करके गन्ना किसानों के साथ धोखा किया है सरकार अपने चुनावी वादे के मुताबिक़ लागत यानि c2 का ढेड गुणा जो कि 500 रूपये प्रति कुन्तल से अधिक बनता है तथा 14 दिन में भुगतान के वादे को पुरा करे। उन्होंने कहा की देश के गन्ना किसानों को केंद्र सरकार ने गन्ना मुल्य में मात्र 10 रूपये प्रति कुन्तल की ममूली बढ़ौतरी करके रोते बच्चों को टाफी देकर चुप करवाने का काम किया है।
उन्होंने कहा की आज डीएपी की कीमत 1,450 रुपये है। बिजली के दाम बढ़ गये हैं. पिछले तीन वर्षों में जुताई की लागत दोगुनी हो गई है, लेकिन गन्ने की कीमत में केवल 10 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। किसान की आय कम हो गयी है पिछले तीन वर्षों में हमारी इनपुट लागत कई गुना बढ़ गई है और सरकार मिलों के हित का ध्यान रख रही है।”
अगर कोई रिकवरी दर को देखता है, तो वह पाएगा कि पिछले तीन वर्षों में यह 8.5 प्रतिशत से बढ़कर 10.5 प्रतिशत हो गई है। इस उठान से मिल मालिक पूरी तरह से लाभान्वित हो रहे हैं जबकि किसानों को समय पर भुगतान तक भी नहीं मिलता है और उनके हित की अनदेखी की जा रही है। फिर भी सरकार खुद को किसानों का हितैषी होने का झुठा दावा करती है।
आप पिछले कुछ वर्षों की मुद्रास्फीति को देख सकते हैं। महंगाई सभी के लिए बढ़ गई है इसलिए किसान को उसी हिसाब से रेट मिलना चाहिए। शाहजहाँपुर गन्ना संस्थान का कहना है कि एक क्विंटल गन्ने की फसल पर 346 रुपये लगते हैं और सरकार हमें 340 रुपये देती है। जबकि पंजाब में गन्ना का भाव 380 रूपये है
किसानों का आरोप है कि सरकार उन्हें उनकी लागत के अनुरूप कीमत नहीं दे रही है
शुगर लॉबी के दबाव में आकर सरकार किसान की अनदेखी कर रही है। खाद, बिजली आदि सब महँगे हो गये हैं। उरजा प्रदेश होने के बाद भी बिजली दरें प्रदेश में सबसे ज्यादा हैं. जबकि अन्य राज्यों में किसानों सिंचाई की बिजली मुफ्त दी जा रही है
राज्य की चीनी मिलों पर किसानों का करोड़ों से अधिक का बकाया है किसानों की पिछले कई वर्षों निरन्तर माँग रही कि सरकार गन्ना का भाव 500 रूपये प्रति कुन्तल घोषित करे