तो क्या भाजपा को डरा रहे हैं ठुकराल। कांग्रेस में जाने की अफवाह फैलाकर तलाश रहे भाजपा में वापसी की संभावना। जाने क्या है प्लान,और किस हालत में कांग्रेस का दामन थामेंगे ठुकराल
नरेन्द्र राठौर
रुद्रपुर (खबर धमाका)। सोमवार को रुद्रपुर के पूर्व विधायक राजकुमार फिर काफी चर्चा में रहे। पूर्व विधायक के देहरादून में पहुंचकर पूर्व सीएम हरीश रावत से मुलाकात को उनके कुछ चाहने वालों काफी हवा दी। यह तक के पूरे दिन ठुकराल क्या करने वाले हैं, इसको लेकर उनके विरोधी और अपने चर्चा करते रहे। लेकिन यह सिर्फ अफवाह और सुर्खियां बटोरने से ज्यादा कुछ नहीं है।
क्योंकि जो चर्चाएं अभी चल रही है,वह पहली बार नहीं चली है, उनके शुभचिंतक पहले भी उन्हें सुर्खियों में लाते रहे हैं। सोमवार को जब ठुकराल जब देहरादून पहुंचे और पूर्व सीएम से मिले तो फिर ठुकराल के कांग्रेस में जाने की अफवाह को हवा दे दी गई। राजनीति पंडितों की मानें तो दो विधायक, पालिकाध्यक्ष, पार्षद,छात्र संघ अध्यक्ष रहे राजकुमार ठुकराल कांग्रेस का दामन इतनी आसानी नहीं थामने वाले हैं,वह अभी कांग्रेस में जाने की हवा उड़ाकर भाजपा में वापसी की संभावना तलाश रहे हैं, पिछले साल से वह इसी में लगे हैं, उन्होंने भाजपा के कई दिग्गजों के यह भी इसको लेकर परिक्रमा की है,तो कभी कभी वह ऐसे राजनीतिक ड्रामा भी कर देते हैं,ताकी भाजपा के बड़े नेताओं को लगे की यदि ठुकराल कांग्रेस में चले गए तो भाजपा को बड़ा नुक्सान होगा और इसी वहाने भाजपा में उनकी वापसी हो जाए, लेकिन अभी तक उनका तीर ठीक निशाने पर नहीं लगा है। जानकारों की मानें प्रदेश में होने वाले निकाय चुनाव यदि समय पर हुए और रुद्रपुर में मेयर की सामान्य सीट हुई और उन्हें भाजपा से टिकट नहीं मिला तो वह कांग्रेस में जा सकते हैं, इसके पीछे मुख्य बजह यह रहेंगी,कि ठुकराल खुद या अपने भाई के लिए मेयर का दावेदार बना सकते हैं, जिसमें उनके सफल होने की संभावना भी काफी रहेंगी। यदि मेयर की सीट पूर्व की भाती एसी रही तो ठुकराल भले ही भाजपा में वापसी न हो, लेकिन वह कांग्रेस का दामन कभी नहीं थामेंगे। वह लोकसभा चुनाव में भी यही रणनीति पर कायम रहेगें। ठुकराल इसके बाद विधानसभा चुनाव तक सह मात खेलते रहेंगे। उनकी राह में सबसे बड़ा रोड़ा विधायक शिव अरोरा रहे। उनकी गुगली पर वह आऊट हुए हैं। और उनका राजनीतिक सफर जो कभी पूरे सबाब पर था वह सिमटकर रह गया। शिव के रहते भाजपा में ठुकराल की संभावना भी न के बराबर ही है।
शोसल मीडिया पर कुछ इस तरह आ रही प्रतिक्रिया
क्योंकि ठुकराल जानते हैं कि कांग्रेस में उनका सफर जितना माना जा रहा उतना आसान नहीं। जिस प्रकार की उनकी ऊबी रही है,वह कांग्रेस में फिट किसी हाल में नहीं होगी और फिर उनकी हिन्दू वाली छबी को कांग्रेस का हर वोटर स्वीकार भी नहीं करेगा। यानी कांग्रेस में जाने के बाद वह दलबदलुओं की लिस्ट में शामिल हो जायेंगे तो सफलता उन्हें मिलेगी इसकी संभावनाएं भी लगभग समाप्त हो जायेगी।
मतलब साफ है कि ठुकराल के समाने हर तरफ मुश्किलें ही मुश्किलें हैं। जिसमें कोई चमत्कार ही उजाला कर सकता है।