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उधमसिंह नगर

तो क्या ऊधमसिंहनगर में खत्म है चुका पुलिस का इकबाल। बेखौफ होकर लोगों की जान ले रहे अपराधी ऊधमसिंहनगर में लगातार हो रहे हत्याकांड से बन रहा असुरक्षा का भय।न अपराधी कम हो रहा न अपराधी

नरेन्द्र राठौर
रुद्रपुर (खबर धमाका)। ऊधमसिंहनगर में पुलिस इकबाल खत्म हो गया है, अपराधियों को पुलिस का खौफ नहीं रहा है।या फिर पुलिस अपराधियों के समाने फेल हो गयी। जिले में पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रहे हत्याकांड से यह सवाल खड़े होने शुरू गए हैं। जिले में पिछले 24 घंटे दम्पत्ति समेत तीन लोगों के हत्याकांड के बाद हर किसी जुवान पर यह बात छाई हुई है। इन तीनों हत्याकांड को अंजाम देने वाले यू तो कोई बड़े अपराधी नहीं रहे हैं। लेकिन हत्याकांड को उन्होंने जिस प्रकार अंजाम दिया है,वह किसी पेशेवर अपराधियों से कम भी नहीं माना जा सकता। हत्यारो जिस प्रकार घटना को अंजाम दिया है, उसमें कहीं नहीं लगता की उन्हें कानून और पुलिस खौफ रहा होगा। सितारगंज में बुधवार को चंद पैसे के लिए दोस्त ही ही दोस्त को मौत के घाट उतार दिया,यह घटना का पर्दाफाश होता उससे पहले रुद्रपुर में दोहरा हत्याकांड हो गया। बुधवार को ही पुलभट्टा के पास ओवर ब्रिज एक अज्ञात युवक का शव बरामद हुआ था,उसकी भी हत्या की बात कही जा रही है,यानी 24 घंटे में चार लोगों की जान चली गई। जनपद में हत्याकांड का यह सिलसिला रुकेगा, या यूं ही जारी रहेगा,यह तो वक्त बताएगा, लेकिन इस साल इसका आकांड 30 के करीब पहुंच चुका है।
अपराधी कितने बेखौफ हैं,इसका उदाहरण पिछले माह सिडकुल क्षेत्र में दिखा था,लूट करके भाग रहे अपराधियों ने उपनिरीक्षक पर ही बाइक चढ़ा दी, जिसके बाद आरोपी पुलिस निगरानी से फरार हो गया। इसी साल गदरपुर क्षेत्र में एक महिला समेत दो लोगों के शवों के टुकड़े करके नदी में बहा दिए गए थे, किच्छा में पिछले सप्ताह ही एक बड़ी घटना समाने आती थी,जहां एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी की हत्या कर शव नाले में गाड दिया,तो अपनी नाबालिग साली को घर लाकर उसके साथ जमकर ज़ुल्म किए।
सवाल यह नहीं की अपराधी पकड़े नहीं जा रहे,सवाल यह की अपराधी इतने बेखौफ कैसे हो गए,जो बिना खौफ के जब चाहे,जहां चाहे, जैसे चाहे लोगों कु जिंदगी खत्म कर दें रहे हैं। जिले के कप्तान एसएसपी मंजूनाथ टीसी हर खुलासे में अपनी टीम की तारीफ करते हैं,जिले के अधिकांश कर्मियों को मैन आफ दां मंथ,और पुरुस्कार दे चुके हैं, लेकिन न अपराधी कम हो रहे और न ही अपराध,तो फिर पीट थपथपाने का मतलब क्या है। जनता सहमी हुई है,और साहब…….

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