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आखिर इतनी भी जल्दी क्या थी मेयर साहब।कार्यमुक्त अफसर की मौजूदगी में हो गयी नगर निगम बोर्ड की बैठक।अपने चहेते ठेकेदार, विवादित भवन की सुविधा समेत कई प्रस्ताव कर लिया पास।बगैर पैसे के होंगे पुराने रुके हुए निर्माण कार्य।आनन फानन में हुई बोर्ड की बैठक को लेकर उठ रहे सवाल। कांग्रेस महानगर अध्यक्ष बोले सब कुछ गोल माल

नरेन्द्र राठौर 

रुद्रपुर ( खबर धमाका)। अंधेर नगरी,चौपट राजा,टके सेर भाजी,टके सेर खाजा। रुद्रपुर नगर निगम के मेयर और सीडीओ विशाल मिश्रा पर यह बात सटीक और सही साबित हो रही है। दोनों ने कानून और नियमों को अपनी जेब में रख दिया। बुधवार को जो हुआ है,वह काफी चर्चा में है। आम जनता तो दूर सरकारी सिस्टम से जुड़े अफसर भी हैरान हैं। चर्चा है की अपने पापों और चहेते लोगों को पहुंचाने के लिए मेयर और सीडीओ ने मिलकर यह खेल है।

बोर्ड बैठक के समापन के बाद पार्षदों के साथ दूसरी लाइन में नवनियुक्त नगर आयुक्त नरेश चंद्र दुर्गापाल,मेयर रामपाल और उनकी बगल में बैठे पूर्व नगर आयुक्त/सीडीओ विशाल मिश्रा 

आपको बता की आईएएस विशाल मिश्रा वर्तमान में सीडीओ ऊधमसिंहनगर है, इससे पहले वे नगर आयुक्त नगर निगम रुद्रपुर भी थे, शासन के तरफ से पिछले सप्ताह उन्हें नगर आयुक्त रुद्रपुर के पद से कार्यमुक्त कर दिया गया और पीसीएस नरेश चंद्र दुर्गापाल पाल को नगर आयुक्त रुद्रपुर बनाया गया। नियम के तहत कोई भी अधिकारी कार्यमुक्त होने के बाद उस विभाग, जगह पर उस हैसीयत से कोई आदेश, निर्देश,बैठक नहीं ले सकता,यानी की उस कार्यलय पर उसकी पावर खत्म हो जाती है।

लेकिन रुद्रपुर नगर निगम में बुधवार को मेयर रामपाल सिंह और सीडीओ विशाल मिश्रा ने एक नया चलन पैदा कर दिया। बुधवार को नगर निगम में बोर्ड की बैठक का आयोजन किया गया।, जिसमें कोर्ट में निगम की पैरवी करने वाले अधिवक्ताओं का मानदेय बढ़ाकर 15 हजार से 30 हजार कर दिया गया। पूर्व में हुए कामों में जीएसटी 06 प्रतिशत बढ़ोतरी होने की बात कहकर कामों की स्वीकृति धनराशि में 10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी कर दी का प्रस्ताव पास कर दिया। जिससे नगर निगम पर बड़ा भारत पड़ेगा। कांग्रेसी पार्षदों के विरोध के बाद नगर निगम के विवादित सभागार में एसी, फर्नीचर और अन्त सुविधाएं बढ़ाने का प्रस्ताव भी पास हुआ है। बैठक में पार्षदों को खुश करने के लिए पूर्व बैठक में पास होने के बाद बजट के अभाव में रुके करोड़ों के कामों को कराने की हरी झंडी दे दी गती है, अब यह काम बगैर बजट के कहां से और कैसे होंगे यह बड़ा सवाल है। बोर्ड बैठक के एजेंडे में शामिल 37 कामों के साथ करीब 65 कामों पर मुहर लगाई गयी,यानी मेयर ने अपनी अंतिम बोर्ड बैठक में जिसने जो मांगा उसकी मांग पूरी कर दी गयी। बदले में पार्षदों ने भी मेयर की खूब तारीफ की । लगभग सभी पाषर्दों का कहना की उनके वार्डों में 90 प्रतिशत काम पूरे हो गया है। हकीकत क्या यह तो जनता ही जानती है। इधर सारी नियमावली तोड़ते हुए कार्यमुक्त होने के बाद सीडीओ विशाल मिश्रा ने आनन फानन में बोर्ड की बैठक में बतौर नगर आयुक्त क्यों शामिल हुए यह अपने आप में बड़ा सवाल है,मेयर ने बोर्ड की बैठक आनन फानन में क्यों बुलाई इसको लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। जब नगर आयुक्त कार्यमुक्त हो गए थे और ने आयुक्त आने वाले थे तो फिर उनका इंतजार क्यों नहीं किया गया, बताया जाता की बोर्ड बैठक से पहले ही ने नगर आयुक्त रुद्रपुर पहुंच चुके थे, बोर्ड बैठक के बाद वह पार्षदों के साथ फोटो खिंचाते भी नजर आया।

इधर कांग्रेस के महानगर अध्यक्ष सीपी ने कार्य मुक्ति अफसर की मौजूदगी में नगर निगम की बोर्ड होने पर पर सवाल खड़े किए हैं, उन्होंने कहा की यह पहली बार हुआ है,नगर निगम में जिस प्रकार पिछले काफी समय से सरकारी धन का दुरुपयोग हो रहा है। उसी की पोल खुलने के डर से ने आयुक्त के आने से पहले बोर्ड की बैठक करके अपने मनमानी कामों को मेयर ने पास कराया है। उन्होंने कहा की यदि ऐसा नहीं है तो आनन फानन में मेयर कार्यमुक्त अफसर की मौजूदगी में बोर्ड की बैठक क्यों कराई। उन्हें इसका जबाव देना चाहिए। वह इस मामले को डीएम और सरकार के समाने उठाकर जांच की मांग करेंगे

ईओ लालपुर की मानें तो शासन से कार्यमुक्त होने के बाद कोई अधिकारी बोर्ड की बैठक नहीं ले सकता है,ऐसा नियम है। हालांकि डीएम ऊधमसिंहनगर उदय राज सिंह का कहना है,की उन्होंने रुद्रपुर नगर आयुक्त को रिलीव नहीं किया था। उधर सूत्रों की मानें तो पीसीएस अधिकारी नरेश चंद्र दुर्गापाल सुबह ही रुद्रपुर पहुंच गए थे, लेकिन बोर्ड बैठक का संचालन होने के चलते डीएम से यह बात छिपाई गयी थी,यही बजह थी की बोर्ड बैठक के समापन का ऐलान होते ही वह नगर निगम सभागार में हाजिर हो गए।

 

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