Death-khaki and politics। मौत-खाकी और राजनीति। दरोगा की नासमझी और सिपाहियों के कारनामों ने दे दिया सबको मौका। रम्पुरा चौकी में वर्षों से जमें कांस्टेबल कर रहे खेल।चौकी में पूरे दिन रहता है दलालों का जमावड़ा
नरेन्द्र राठौर
रुद्रपुर (खबर धमाका)। रुद्रपुर में रम्पुरा चौकी पुलिस पर लगे आरोप कोई हैरान करने वाली बात नहीं।चौकी में लंबे समय से जमें सिपाही इसे बड़े बड़े कारनामे कर रहे हैं। बुर्जुगों, महिलाओं से अभद्रता तो चौकी में आम बात हो ही चुकी है, साथ ही सिपाहियों के कारनामे भी हर दिन जग जाहिर हो रहे हैं। जानकारों की मानें तो चौकी में पूरे दिन दलालों का जमावड़ा लगा रहता है,दलाल ही मामले लेकर आते,और दलाल ही उनका निपटारा ले देकर कराते हैं।
मंगलवार को रम्पुरा के युवक अनिल की मौत के बाद पुलिस पर जो आरोप लगे हैं। उसमें एसआई की नासमझी तो रही ही है। लेकिन मौके पर मौजूद चौकी इंचार्ज ने इसे समय रहते समझदारी से हैंडिल किया होता तो नेताओं को अपनी नेतागिरी दिखाने का मौका नहीं मिलता। लेकिन उन्होंने न तो समय पर अपने अधिकारों को सूचना दी और न ही दरोगा की ग़लती पर लोगों को शांत कर पर पाते,और जब तक अधिकारी मोर्चा संभालते तब तक बहुत देर हो चुकी थी। दरासल मंगलवार को युवक की मौत के बाद जो हुआ है,वह नासमझी और नादानी से ज्यादा कुछ नहीं है। सूत्रों की मानें तो रात को पुलिस चौकी से घर जाने के बाद युवक ने फांसी लगाकर जान दी थी, इसके बाद लोगों में ऐसा क्यों आक्रोश नहीं था कि वह पुलिस को दोषी या मोर्चा खोलते। लेकिन चौकी इंचार्ज केसी आर्य के साथ मृतक के घर पहुंचे एक एसआई ने मृतक के घर में जाकर महिला से अभद्रता कर डाली। बताया जाता कि अनिल के फांसी लगाने के बाद जब पुलिस मौके पर पहुंची तब तक उसके परिजन उसे नीचे उतार चुके थे। अनिल की मौत फांसी लगाने से हुई है यह बात परिजनों ने पुलिस को नहीं बताई थी, लेकिन उसके गले पर निशाना लगे थे, जिससे पुलिस को लगा की परिजनों ने ही उसकी हत्या की है। इसी का सच जानने के लिए एसआई ने महिला से सख्ती कर दी,जो पुलिस के लिए मुसीबत बन गई। जबकि यह काम पुलिस महिला पुलिस कर्मियों को बुलाकर भी कर सकती थी। बताया तो यह भी जाता कि लोग ने एस आई की ग़लती के पुलिस को घेर लिया, लेकिन कुछ समझदार लोग की बजह मामला शांत हो गया
इधर रात को अनिल को छोड़ने के एबज पैसे लेने के आरोप भी समाने आ गया। जो पुलिस के लिए सबसे ज्यादा परेशान करने वाले।वैसे यह आरोप ने या हैरान करने वाले नहीं। चौकी में वर्षों से जमें कांस्टेबलों पर ऐसे आरोप आए दिन लगते रहते हैं।एक पत्रकार की मानें तो पिछले माह उनके एक मित्र का पैसे के लेनदेन को लेकर विवाद चौकी पहुंचा था, बाद में उसमें समझौता हो गया, समझौता नाम देने के समय वह खुद चौकी गए थे। चौकी सिपाही दोनों पक्षों से समझौते के बाद भी पैसा मांग रहे थे। वह चौकी इंचार्ज के पास बैठे,इसी बीच सिपाहियों ने दो हजार रुपया ले लिए,जिसे बाद में चौकी इंचार्ज ने वापस कराए थे, पिछले माह ही एक 112 नबंर पर भदईपुरा के व्यक्ति द्वारा की गयी शिकायत के बाद पुलिस ने दोनों पक्षों को पांच घंटे बिठाकर रखा, बताया जाता की रात दोनों पक्ष तब छोड़ा गया जब उसने जेंब गर्म कर ली गई। ऐसे न जाने कितने मामले हैं,जो पुलिस की छबी को बट्टा लगा रहे।
इस मामले में राजनीतिक भी जमकर हुई,