नेताओं की व्यक्तिगत सोच से देश को बहुत हानि,सुधीर विद्यार्थी। रुद्रपुर में आयोजित कार्यक्रम में इतिहासकार,अनुसंधानकर्ता और सुपरिचित लेखक सुधीर ने लिया भाग। बोले आजादी की लड़ाई में कुर्बानियां देने वाले नहीं चहाते थे ऐसा समाज
नरेन्द्र राठौर
रुद्रपुर(खबर धमाका)। ‘बुक ट्री’ ने पढ़ने लिखने और सोचने की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में इतिहासकार, अनुसंधानकर्ता और सुपरिचित लेखक सुधीर विद्यार्थी ने अपने जीवन संघर्ष और लेखन के विषय में विस्तारपूर्वक बताया। उन्होंने कहा कि मां पढ़ना-लिखना जानती थीं अतः किसी कहानी में सुधीर नाम पढ़कर उन्होंने मेरा नाम सुधीर रख दिया। किसी पत्रिका में एक बार क्रांतिकारियों की तस्वीर देखकर क्रांतिकारी के जीवन पर लिखने विचार आया, और 17 वर्ष की उम्र से ही क्रांतिकारियों के जीवन पर लेखन करना प्रारंभ कर किया।
कार्यक्रम में विद्यार्थी जी ने मैनपुरी षड्यंत्र केस , काकोरी काण्ड, ऊधम सिंह, गांधी, नेहरू, सुशीला देवी, वीणा दास,
सुनील चौधरी, शांति घोष, भिखारीलाल, रासबिहारी बोस, दुर्गा भाभी, हर गोविंद, बटुकेश्वर दत्त, गेंदालाल दीक्षित, राजेंद्र लाल लहरी, अद्भुत क्रांतिकारी, चंद्रशेखर आजाद, सावरकर, जिन्ना, अशफाक उल्ला खां और राजा राम भारतीय कैसे ज्ञात अज्ञात क्रांतिकारियों के विषय में बताया। साथ ही क्रांतिकारियों की मां और उनके जीवन पर भी अनछुए पहलुओं को सामने रखा। देश की वर्तमान स्थिति पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि धर्म और सम्रदाय की राजनीति देश और समाज को पीछे ले जाती है। देश के क्रांतिकारी वैसा देश या समाज नहीं बनाना चाहते थे, जैसा आज है। नेताओं की व्यक्तिगत सोच ने स्वयं नेताओं के साथ-साथ देश को बहुत हानि पहुंचाई है। अब उनका एक ही कार्य है सत्ता को पाना, उसके बाद बचाना।
कार्यक्रम में मुकुल, उषा टम्टा, अमर सिंह सैनी, खेमकरण ‘सोमन’, कमला बिष्ट, प्रतीक वर्मा, हरीश मौर्य, उपमा मलिक, सिद्धार्थ श्रीवास्तव, डॉ. शुभम संदेश जैन, धीरज पांडे, शुभांकर वर्मा, ओपी सिंह, हरिनंदन आजाद, मोहितफाजिल मलिक, गायत्री शर्मा, मोनिस अली, दीपांशु कोली, बुशरा, मऔर सुमित पांडे उपस्थित थे। कार्यक्रम का आयोजन एवं संचालन नवीन चिलाना ने किया।