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दौड लगाने से पहले हांफने लगा हाथी!नैनीताल-ऊधमसिंहनगर संसदीय सीट पर का अच्छा खासा है कैडर वोट। 2019 में भाजपा -कांग्रेस के बाद बसपा प्रत्याशी को मिले थे सबसे ज्यादा वोट

नरेन्द्र राठौर
रुद्रपुर(खबर धमाका)। ऊधमसिंहनगर जिले का गठन करने वाली बसपा सुप्रीमो मायावती का हाथी दौड़ लगाते से पहले ही हांफने लगा है। आलम यह कि प्रचार तो दूर पार्टी के अभी तक अधिकांश विधानसभा में कार्यालय भी नहीं खुल है,जो साफ संकेत है कि पार्टी यह सिर्फ अपना सिब्बल बचाने के लिए मैदान में उतरी है।
नैनीताल ऊधमसिंहनगर संसदीय सीट पर यूं तो कांग्रेस और भाजपा के बाद बसपा सबसे बड़ी पार्टी है, पार्टी का संसदीय सीट पर अच्छा खासा कैडर वोट भी है। पिछले लोकसभा चुनाव पार्टी को कांग्रेस, भाजपा के बाद सबसे ज्यादा वोट मिले थे। राज्य गठन के बाद पार्टी के गदरपुर और सितारगंज में में विधायक भी रहे। वर्तमान में जसपुर पालिकाध्यक्ष भी बसपा का बताया जाता है। यदि दमदार प्रत्याशी को मैदान में उतारती तो निश्चित रुप यहां मुकाबला त्रिकोणीय होता, लेकिन पहले पार्टी प्रत्याशी घोषित करने में विछडी बसपा का कमजोर प्रत्याशी महज अपने क्षेत्र में सिमट कर रह गया।
काशीपुर निवासी बसपा प्रत्याशी अख्तर अली से रविवार को हमारी बात भी हुई। उन्होंने कहा कि उनके काशीपुर, महुआखेड़ा गंज, गदरपुर में कार्यालय खुले हैं,बाकी जगह कार्यलय खोलने की तैयारी चल रही, चुनाव के लिए प्रचार वाहन काशीपुर, जसपुर, रुद्रपुर में चल रहे हैं। यानी महज कुछ जगहों पर ही बसपा औपचारिक निभा रही हैं। पार्टी का रुद्रपुर हल्द्वानी, नैनीताल खटीमा, सितारगंज, किच्छा समेत एक दर्जन विधानसभाओं में अभी तक कार्यालय भी नहीं खुला है,यह हाल तब है,जब चुनाव के सिर्फ चंद दिन बचे हैं। जानकारों की मानें तो पार्टी ने यह ऐसे प्रत्याशी को टिकट दिया जिसकी राजनीतिक पकड़ शून्य है,न उसे कोई पहचानता है।न वह खुद कोई प्रयास कर रहे। पार्टी ने सिर्फ औपचारिकता के लिए कमजोर प्रत्याशी खड़ा करके अपना सिब्बल बचाने का काम किया है। यदि बसपा पूरे दमखम से चुनाव लड़ती तो कांग्रेस और भाजपा दोनों के समाने मुसीबत गाड़ी होती, लेकिन ऐसा करने में बसपा फेल साबित हुई है।

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