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उत्तराखंड

हादसा,दीवार और छत के बीच में दबकर ठेकेदार की मौत। सरकारी भवन तोड़ने के दौरान हुआ हादसा।समय पर न पुलिस आई न एम्बुलेंस

नरेन्द्र राठौर 
रुद्रपुर(खबर धमाका)। नैनीताल के काठगोदाम में रविवार दोपहर बड़ा हादसा हो गया। दमुवाढूंगा में जमरानी कालोनी के सरकारी आवास गिराने में जुटे ठेकेदार की दीवार और छत के नीचे दब कर मौत हो गई। जेसीबी और साथियों की मदद से उसे निकालकर डॉ.सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।


जानकारी के मुताबिक काठगोदाम के दानीबंगर किशनपुर गौलापार निवासी विक्रम सिंह बिष्ट उर्फ वकील (24) पुत्र डूंगर सिंह बिष्ट एमबीपीजी में एमए तृतीय वर्ष का छात्र था और यहां पिता डूंगर, मां भगवती देवी व छोटे भाई हर्षित के साथ रहता था। परिवार की माली हालत खराब थी और इसके लिए वह काम भी करता था। इन दिनों वह दमुवाढूंगा स्थित जमरानी कॉलोनी के सरकारी आवास गिराने का काम कर रहा था। बताया जाता है कि मुख्य ठेकेदारों ने उसे ठेका दिया था।
रविवार की सुबह करीब 7 बजे वह रिश्ते के भाई वीरेंद्र व हरीश के साथ जमरानी कालोनी गया था। तीनों ने मजदूरों के साथ काम भी किया और यह देख रहे थे कि मकान की ईंटें सही सलामत निकल आए। साथियों की मानें तो दोपहर खाना खाने के लिए सभी कॉलोनी से बाहर आ गए, लेकिन विक्रम अंदर ही रह गया। तभी अचानक कॉलोनी की दो मंजिला छत ढह गई और विक्रम दीवार और छत के बीच में दब गया। विक्रम की चीख और छत गिरने की आवाज सुनकर आनन-फानन में वीरेंद्र और हरीश के साथ अन्य लोग मौके पर पहुंच गए। देखा तो कॉलोनी की छत विक्रम की पीठ पर और पेट दीवार पर टिका था।
आनन-फानन में लोगों ने उसे निकालने की कोशिश शुरू की, लेकिन बात नहीं बनी। जिसके बाद मौके पर जेसीबी को बुलाया गया और बुरी तरह लहूलुहान विक्रम को बाहर निकाला गया। साथी उसे आनन-फानन में डॉ.सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय लेकर पहुंचे, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुंच गई। पंचनामा भरने के बाद पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
खून से खराब हो जाती कार, निर्मम बने रहे ठेकेदार
ये हादसा दोपहर करीब साढ़े 12 बजे हुआ। उस वक्त विक्रम के साथ वह ठेकेदार भी वहां अपनी लग्जरी कारों से मौजूद थे, जिन्हें वास्तविक ठेका दिया गया था। जेसीबी और लोगों की मदद से लहूलुहान विक्रम को निकाला गया, लेकिन एंबुलेंस मौके पर नहीं पहुंची थी। लोग ठेकेदारों से उनकी लग्जरी कार की मांग करने लगे, लेकिन ठेकेदार यह सोंच कर निर्मम बने रहे कि कार खून से खराब हो जाएगी।
लोगों का हंगामा, विक्रम को बाइक पर लेकर दोस्त
ठेकेदारों के कार न देने पर स्थानीय लोगों ने जमकर हंगामा काटा। इसबीच लगभग पौन घंटे गुजर चुके थे और विक्रम की हालत बिगड़ती जा रही थी। जिसके बाद दोस्तों ने विक्रम को मोटर साइकिल पर बैठाया और अस्पताल लेकर निकले। तभी एक ठेकेदार मदद को आगे आया। उसने अपनी कार से विक्रम को डॉ.सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय पहुंचाया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
पैरालाइज्ड हैं पिता, परिवार के पास छोटी सी खेती
हादसे की खबर सुनकर विक्रम के माता-पिता भी अस्पताल पहुंच गए। जैसे ही चिकित्सकों ने मौत की पुष्टि की तो वह फूट-फूट कर रोने लगे। विक्रम के पिता डूंगर सिंह बिष्ट का आधा शरीर काम नहीं करता। बताया जाता है कि वह पैरालाइज्ड हैं। परिवार में कमाने वाला सिर्फ विक्रम था और छोटी जोत की वजह से परिवार का खर्च नहीं चलता था। यही वजह थी कि विक्रम पढ़ाई के साथ काम करके परिवार की मदद करता था।

समय पर न पुलिस आई न एम्बुलेंस 
आरोप है कि हादसे के तुरंत बाद लोगों ने सबसे पहले पुलिस और फिर एंबुलेंस को सूचना दी, लेकिन न तो मौके पर पुलिस पहुंची और न ही एंबुलेंस। पौन घंटे गुजर चुके थे और जब विक्रम को लेकर दोस्त अस्पताल के लिए लेकर निकले तो रास्ते में घटना स्थल की ओर जाती एंबुलेंस जाती दिखाई दी। दोस्तों का कहना कि अगर एंबुलेंस सही समय पर पहुंच जाती या ठेकेदार मदद कर देते तो शायद विक्रम की जान बच जाती।

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