शेर और बब्बर शेर ने ऊधमसिंहनगर में कराई कांग्रेस की फजीहत 2027 से पहले कांग्रेस दिग्गजों की लड़ाई पार्टी को होगा बड़ा नुक्सान दो धड़े में बटे कार्यकर्ता,हाईकमान की चुप्पी ने खड़े किए सवाल, यह
नरेन्द्र राठौर(खबर धमाका)। ऊधमसिंहनगर में पिछले तीन दिन से कांग्रेस के दो दिग्गजों में चल रही जुबानी जंग जहां दिलचस्प होती होती जा रही, वहीं 2027 चुनाव से शुरू हुई इस लड़ाई से कांग्रेस को बड़ा नुक्सान होना तय है। जनपद में पूरी तरह दो गुटों में बंटी पार्टी के लोग एक तुलना तराई के शेर और दूसरी की बब्बर शेर से कर रहे हैं।
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ऊपर दिए लिंक पर क्लिक करके सुनिए ऊधमसिंहनगर में कांग्रेस के शेर और बब्बर शेर की जुबानी, कैसे बोल रहे हैं एक दूसरे पर हमला
ऊधमसिंहनगर में पिछले तीन दिन से पूर्व मंत्री तिलक राज बेहड और कांग्रेस किसान मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष हरेंद्र सिंह लाडी के बीच छिड़ी आरोप प्रत्यारोप की जंग किसी से छिपी नई है, दोनों एक दूसरे निजी हमले बोल रहे हैं,तो एक दूसरे का चिठ्ठा खोलने से भी पीछे नहीं हट रहे। किच्छा विधायक तिलक राज बेहड ने रुद्रपुर में 14 वर्ष पहले हुए दंगे का मास्टर माइंड अपने ही पार्टी के नेता हरेंद्र सिंह लाडी को बना लाडा है। लाडी पर भाजपा का ऐजेंट होने के आरोप लगे है। रुद्रपुर में पार्टी को पिछले तीन विधानसभा में मिली हार की तोहमत भी लाडी के सिर पर फोड़ी गई है।
इधर कांग्रेस किसान मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष हरेंद्र सिंह ने भी किच्छा विधायक तिलक राज बेहड पर जुबानी हमला बोलने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। उन्होंने किच्छा विधायक बेहड को भाजपा का ऐजेंट करार देने के साथ ही पार्टी को कमजोर करने समेत तमाम आरोप लगाया है। बेहड और लाडी दोनों ने एक दूसरे का चिठ्ठा पार्टी हाईकमान के समाने खोलने का ऐलान भी किया है।
दोनों ने दो दिन में दो दो प्रेस वार्ता की है, साथ ही ऐलान किया है कि वह एक दूसरे को जबाब देते रहेंगे।यानी यह लड़ाई अभी रुकने वाली नहीं है।
इधर ऊधमसिंहनगर में पार्टी के लोग भी दो धड़े में बट गया है। किच्छा विधायक को तराई का शेर कहा जा रहा है,तो कांग्रेस किसान मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष हरेंद्र सिंह लाडी को बब्बर शेर के खिताब से नवाजा जा रहा है।
इधर कांग्रेस के दो दिग्गजों में छिड़ी जंग का भाजपा नेता वड़ी खामोशी से देख रहे हैं। क्योंकि वह समझ रहे हैं कि लड़ाई जितनी बढ़ेगी 2027 में भाजपा की राह उतनी ही आसान हो जायेगी, यानी दोनों की लड़ाई भाजपा के लिए फायदेमंद होगी,यह हर कोई जानता है।
इधर तीन दिन से चल रही कांग्रेस के दो नेताओं में जुबानी जंग के बाद भी पार्टी हाईकमान की चुप्पी समझ से परे है तो सवाल खड़े करनी वाली है। सवाल उठ रहे कि क्या प्रदेश में कांग्रेस के बड़े नेता इन दोनों दिग्गजों के समाने बोलने ताकत नहीं रखते हैं,या फिर यह दोनों नेता पार्टी हाईकमान से ऊपर है। यदि दोनों के बीच इसी प्रकार तकरार चलती रही तो 2027 में पार्टी की वापसी का सपना सपना ही रह जायेगा।