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उत्तराखंड

अद्धभुद चमत्कार व आस्था का प्रतीक है प्राचीन सेराघाट बीड़ा महादेव मंदिर। उत्तराखंड में अल्मोड़ा -पिथौरागढ सीमा पर मौजूद मंदिर कभी हुआ करता था मानसरोवर यात्रियों का पड़ाव।सरयू घाट पर प्राचीनकाल में तीन गुफाओं से हुई थी मंदिर की उत्पत्ति

नरेन्द्र राठौर 
अल्मोड़ा व पिथौरागढ़ के सीमा सेराघाट बीड़ा महादेव मंदिर सरयू गंगा व जैगन नदी के संगम पर स्थापित है। सेराघाट बीड़ा महादेव मंदिर अल्मोड़ा व पिथौरागढ़ बागेश्वर के सीमांत एरिया के प्राचीन मंदिरों में माना जाता है।

 

 

उत्तराखंड प्रथक राज्य से पहले मानसरोवर यात्रियों का पड़ाव हुआ करता था बीड़ा महादेव मंदिर सेराघाट में।

 

बीड़ा महादेव मंदिर 160साल पुराना प्राचीन महादेव मंदिर है।
160साल पहले जैगन नदी व सरयू गंगा के सगंम के ठीक तीन सौ मीटर दूरी पर एक गुफा बताई जाती है उस गुफा से इस बीड़ा महादेव मंदिर की उत्पत्ति हुई।सरयू गंगा के इस पार तट पर महादेव मंदिर है ‌ठीक उसी के उस पार पर तीन सौ मीटर पर गुफा थी उस गुफा से महादेव मंदिर की उत्पत्ति उसके बाद 160साल बाद ये बीड़ा महादेव मंदिर सरयू गंगा के किनारे पर स्थापित किया गया।
आज भी उस गुफा के सामने से सरयू गंगा का जल जागनाथ ब्रहम कुंड में जाता है। बरसात के समय ज्यदा पानी के बहाव के जागनाथ ब्रहम कुंड कचूवां पानी श्रधालुओं को दिखता है। लेकिनइये महादेव मंदिर की उत्पत्ति के बाद व गुफा क्षैतिग्रस्त व बंद हो गई लेकिन इस गुफा के सामने से जागेश्वर धाम के ब्रहम कुंड में आज पानी जाता है।
ये महादेव मंदिर में मकरसंक्रांति का दो दिवसीय महाकौतिक,एक दिवसीय महाशिवरात्रि कौतिक,एक दिवसीय बिखौति बैशाखी कौतिक होते रहता है। इस मंदिर के पुजारी श्री रमेश भट्ट है इससे पहले स्वर्गीय पिताजी श्री पुरूषोत्तम भट्ट जी उससे पहले उनके दादा जी सवग्रीय श्री गंगा दत भट्ट।


इस महादेव मंदिर में मकरसंक्रांति व महाशिवरात्रि व बिखौति बैशाखी मेले के दौरान अलग अलग क्षेत्रों अपने बच्चों के जनेऊ संस्कार की प्रथा अभी अभी चली आ रही है।

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