रुद्रपुर में सुशील गाबा के बाद अगला कौन!कई कांग्रेसी पार्षद व बरिष्ट नेता भाजपा में जाने को तैयार। रुद्रपुर में नेतृत्व की कमी व गुटबाजी के चलते जमीन से जुड़े नेताओं का टूट रहा मन। विधायक शिव अरोरा का मास्टर मैनेजमेंट से भी हो रहे प्रभावित
नरेन्द्र राठौर
रुद्रपुर। विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के युवा नेता व जिला महासचिव सुशील गाबा के भाजपा में शामिल होने के बाद अब चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है,माना जा रहा की कांग्रेस के कई पार्षद और कई बड़े चेहरे भाजपा ज्वाइन करने के लिए बेताब है। जिन्हें देर सबेर भाजपा अपना साथी घोषित कर सकती है। आखिर कभी प्रदेश की मुख्य पार्टी रही कांग्रेस में ऐसी भगदड़ क्यों मची है, क्या पार्टी में वर्षों सेवा दे रहे निष्ठावान कार्यकर्ताओ को अब कांग्रेस पर भरोसा नहीं है,या फिर नेतृत्व की कमी और गुटबाजी से उनका मन टूट चुका है,सवाल है,जिसका जबाब समय रहते कांग्रेस हाईकमान को ढूंढना होगा, नहीं तो कभी कांग्रेस का गढ़ रहे रुद्रपुर में उसकी हालत सपा और बसपा जैसे पार्टियों की तरह हो जाएगी।
रुद्रपुर विधानसभा की बात करें तो उत्तराखंड गठन के बाद बर्ष 2011से पहले यह कांग्रेस का गढ रही थी। पूर्व मंत्री व वर्तमान में किच्छा के विधायक तिलक राज बेहड यह से लगातार विधायक रहे थे,आलम यह था की रुद्रपुर में भाजपा का झंडा उठाने वाले चंद लोग ही नहीं नजर आते थे, लेकिन 2011 में हुए दंगे ने सब कुछ बदल दिया,2012में चुनाव में भाजपा ने शुरू की विजय यात्रा आज तक जारी है,2022 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की मीना शर्मा की जीत उनके चाहने वाले पक्की मानी रहे थे, लेकिन उनकी बड़ी हार हुई,इसके पीछे कांग्रेस के उन नेताओं को जिम्मेदारी माना जा रहा था,जिनका जमीन पर तो कोई बजूद नहीं है, लेकिन पार्टी ने उन्हें मुखिया बना रखा है। जिनके द्वारा अन्दर खाने भाजपा और निर्दलीय प्रत्याशी को सपोर्ट किया गया। पिछले दिनों पेपर लीक प्रकरण के बाद देहरादून में छात्रों पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में गांधी पार्क में हुए एक दिवसीय धरने में खुद नेता प्रतिपक्ष यशपाल और उपनेता प्रतिशत भुवन कापड़ी ने यह महसूस किया था,दो जिलों के इन धरने में बाहर के लोग तो पहुंचे, लेकिन विधानसभा के लोग गायब थे,यानी की शहर के दो दो नगर अध्यक्ष और कार्यकारी जिलाध्यक्ष हिमांशु गाबा शहर के कांग्रेसियों को लाने में फेल साबित हुए थे,इससे पहले कांग्रेस की हाथ जोड़ों यात्रा को लेकर बुलाई गरी बैठक में भी यही हाल देखने को मिला था, कांग्रेस कुछ दिग्गज नेता मीना शर्मा और महानगर अध्यक्ष जगदीश तनेजा बैठक छोड़कर ही चले गए थे, उन्होंने बैठक में उन्हें सम्मान न मिलने का आरोप लगाया था,
यानी की कांग्रेस में गुटबाजी पूरी चरम और नेतृत्व नाम की चीज खत्म हो गयी, गुटबाजी के चलते पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ता और पदाधिकारी यह नहीं समझ पा रहे रहे की अब वह क्या करे। उन्हें कांग्रेस में अपना भविष्य भी डूबता नजर आ रहा है। सूत्रों की मानें तो ट्रांजिट कैंप जो मतदाताओं का गढ़ है,वहा के की कांग्रेसी पार्षद और कई बड़े नेता काफी समय से भाजपा के सम्पर्क में हैं, लेकिन भाजपा उन्हें पार्टी में शामिल करने के लिए समय का इंतजार कर रही है, भाजपा से जुड़े सूत्रों की मानें तो निकाय चुनाव से पहले उन्हें भाजपा में शामिल कर लिया जाएगा।
अगर ऐसा हुआ तो कांग्रेस का रुद्रपुर से सफाया तय है।जिसका सीधा फायदा आगामी निकाय और लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिलना तय है।
विधायक शिव की चाणक्य नीति कर रही काम
रुद्रपुर में कांग्रेस के जिला महासचिव सुशील गाबा को भाजपा में शामिल करने के बाद चल रही चर्चाओं में विधायक शिव अरोरा का मास्टर मैनेजमेंट काम करता नजर आ रहा। जिले में दो बार जिला अध्यक्ष रहने के बाद विधायक बने शिव के कार्यकाल से भाजपा ने अपनी जड़ें मजबूत की थी, कांग्रेस नेता सुशील गाबा भी उन्हीं के प्रयास से भाजपा में शामिल हुए हैं, सुशील ने अपने भाषण में इसका जिक्र भी किया था, उन्होंने कहा की वह विधायक की विकास परख सोच से काफी प्रभावित हैं, माना जा रहा कांग्रेस के कई अन्य बड़े चेहरे भी विधायक की चाणक्य नीति से प्रभावित हो चुके हैं,