बाबा साहब की शोभा यात्रा,राजकुमार के जनाधार होगी परीक्षा। दलित समाज के जुलूस के बहाने अपनी राजनीतिक में धार देने की जुगत में जुटे पूर्व विधायक।
नरेन्द्र राठौर
रुद्रपुर। कहते हैं राजनीति में कब आपको जनता हीरो बना दे कब जीरो इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। राजनीति में सब कुछ जनता ही तय करती है। रुद्रपुर की राजनीति पर नजर दौड़ाएं तो कभी यह पर पूर्व मंत्री तिलक राज की तूती बोलती थी, लेकिन उनके लंबे सफर को अक्टूबर 2011 में हुए दंगे के बाद विराम लग गया।2012 में हुए चुनाव में भाजपा से मैदान में उतरे राजकुमार ठुकराल का युग शुरू हुआ। राजकुमार ने 2012 और 2017 में हुए चुनावों में पूर्व मंत्री बेहड को ऐसी जबरदस्त मात दी की उनकी उन मन टूट गया।और 2022 में वह रुद्रपुर से पलायन कर किच्छा पंहुचा गए। जहां बेहड का भाग्य फिर चमक उठा, लेकिन रुद्रपुर में 2012 में हीरों बनकर उभरे राजकुमार ठुकराल की के बुरे दिन शुरू हो गए, भाजपा ने उनका टिकट काटकर शिव अरोरा को टिकट दिया तो राजकुमार ने उनके समाने निर्दलीय ताल ठोक दी , लेकिन नतीजे सामने आए तो वह तीसरे नम्बर पर पहुंच गए। इसके बाद राजकुमार का भविष्य अधर चला गया। उनका भविष्य अब कहां चमकेगा। यह अभी भी पता नहीं है, भाजपा में लौटने की उनकी उम्मीद अब धूमिल हो चुकी है। उनके पास अब कांग्रेस में जाने का रास्ता बचा है। इसकी चर्चाएं भी चल रही है, लेकिन राजकुमार ने अभी तक मुंह नहीं खोला है, लेकिन जिस प्रकार उनकी कांग्रेस के नेताओं से नजदीकियां बढ़ रही है।उससे बड़ी बहस शुरू हो गयी। राजकुमार जो कल तक अपने आपको को राम का सेवक बोलते थे,आज वो भीम आर्मी के अध्यक्ष चंद्रशेखर रावण जैसे लोग को अपना भाई मान रहे हैं। उन्होंने गुरुवार को हुई प्रेस वार्ता भीम आर्मी के चंद्रशेखर को लेकर यह बात कही थी, उन्होंने कहा की इस यात्रा में चन्द्रशेखर रावण भी हिस्सा लेंगे। चंद्रशेखर उनके भाई है,और उनसे उनके गहरे रिश्ते हैं। कहते हैं कि एक बार जो राजनीतिक का लड्डू खा लेता वह उसके बैगर नहीं रह सकता। ऐसा ही हाल राजकुमार ठुकराल का भी।वह राजनीति के बिना नहीं आगे बढ़ सकते हैं। इधर शहर में शुक्रवार को भारत रत्न बाबासाहेब की जयंती की पूर्व संध्या पर निकलने वाली शोभा यात्रा में ठुकराल अपनी ताकत का एहसास करने के मूड में आ रहे हैं।कहने को तो यह कार्यक्रम दलित समाज का है। लेकिन कार्यक्रम में जिस प्रकार सरकार और क्षेत्रीय विधायक के विरोध एकत्र हो रहे हैं,वह अपने आप में ठुकराल की रणनीति का साफ इशारा कर रही है। बताया जा रहा की इसके लिए पूर्व विधायक ने अच्छी खासी फंडिंग भी है। यानी के दलित समाज के इस कार्यक्रम को पर्दे के पीछे रहकर पूर्व विधायक पूरी तरह भव्य बनाने में जुटे हैं।
अब देखना यह है की पूर्व विधायक की नई पारी की पहली कवायद कितना रंग लाती है। वैसे जिस क्षेत्र से यह यात्रा निकल रही है,उस क्षेत्र में ठुकराल का पहले से ही अच्छा वर्चस्व रहा है। निर्दलीय चुनाव में भी उन्हें वहां से सबसे ज्यादा वोट मिले थे, उन्होंने बाद में पार्षद के चुनाव में भी अपने प्रत्याशी को जीत दिलाने का काम किया था,और जो शोभा यात्रा निकाल रहे हैं उनमें भी अधिकांश उनके समर्थक लोग ही शामिल हैं। लेकिन शोभा यात्रा कुछ भीड़ से साफ हो जाएगा की राजकुमार की कवायद अभी भी कितनी मजबूत है।