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उधमसिंह नगर

भष्टाचार की पुलिया:तो वली का बकरा बनेगा ठेकेदार! निगम के अफसरों को बचाने के लिए मेयर ने फेका तुर्प का पत्ता। सरकार की साख भी लगी दांव पर। डीएम साहब को बहारी एजेंसी से करानी चाहिए जांच।

नरेन्द्र राठौर
रुद्रपुर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तराखंड के युवा सीएम पुष्कर सिंह धामी को अपने जरुर सुना होगा। हर मंच पर उनके भाषण में भष्टाचार मुक्त सरकार और भष्टाचारियों को कड़ी सजा देने की बात जरूर की जाती है। लोग उनकी बात यकीन भी करते हैं, क्योंकि भष्टाचार ही विकास में सबसे बड़ा रोड़ा है। देश में भष्टाचारियों के खिलाफ लगातार एक्शन भी हो रहा है। पिछले दिनों पार्टी के स्थापना दिवस पीएम मोदी ने जो कहा था वो पूरे ने ही दुनिया ने भी सुना था,और तालियां भी बजाई थी। यकीनन पीएम मोदी के हर बात देश भरोसा करता है। लेकिन रुद्रपुर नगर निगम में चल रहे खेल को लेकर हर कोई हैरान हैं। निर्माण कार्यों में हो रहे भष्टाचार की बात लगातार उठ रही है,तो सोमवार को एक ऐसी पुलिया धराशाई हो गयी,जो छ: माह पहले ही बनी थी,जिसकी मेयर ने आनन फानन में शुरुआत कराई थी,तो नगर निगम के सभी अफसर कई दिन इस काम में लगे रहे थे, फिर नगर आयुक्त विशाल मिश्रा और एसडीएम प्रत्युश कुमार ने मेयर के साथ इसका उद्घाटन किया था। पुलिया को लेकर ने खूब प्रचार कर वाहवाही भी लूटी थी, लेकिन अब पुलिया टूटने के बाद जब इसमें भष्टाचार के आरोप लग रहे हैं,तो मेयर ने ठेकेदार के खिलाफ जांच के आदेश कर दिए हैं। जांच भी उन अधिकारियों को सौंपी गयी है,जो सीधे इससे जुड़े रहे हैं। कांग्रेस महानगर अध्यक्ष सीपी शर्मा ने तो सीधे आरोप लगाए हैं,यह सब भष्टाचारियों को बचाने के लिए हो रहा है। उन्हें नगर निगम और मेयर की जांच पर कतई भरोसा नहीं है। उनका आरोप भी ग़लत नहीं है। क्योंकि भष्टाचार की पुलिया में सिर्फ ठेकेदार जिम्मेदार नहीं हैं,जब मेयर,उनके अफसरों ने समाने खड़े होकर निर्माण कराया था,तो उस समय निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल हो रही है,यह बात क्यों नहीं उठाई गयी। लाखों रुपया का वेतन ले रहे नगर निगम के एई और जेई क्या कुछ जानते ही नहीं।क्या उनकी इसमें कोई जिम्मेदारी नहीं है। जो जिम्मेंदार है क्या वो जांच में अपने गले में फंदा फंसायेंगे। बिल्कुल नहीं,यह बात मेयर जानते हैं और आम जनता भी! लेकिन यह सब खेल जनता को बेवकूफ और अपना गला बचाने के लिए खेला रहा है। इसमें ठेकेदार को वली को बकरा बनाकर इतिश्री कर ली जायेगी।
लेकिन इस मामले में सरकार को संज्ञान लेनी चाहिए। डीएम को अपने स्तर से किसी बहाली एजेंसी से निगम के सारे निर्माण कार्यों की जांच करानी चाहिए। ताकी सच समाने आ सके और जो दोषी है उन्हें सजा मिल सके।

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