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उधमसिंह नगर

देह पूरी लड़ी बस मिली बोटियाँ।इस शहादत में खेली गईं गोटियां। तेरे घर पे चूल्हा जला बीस दिन, पर सियासत में सेकीं गई रोटियाँ। टैगोर जयंती पर कवि सम्मेलन आयोजित

नरेन्द्र राठौर

रुद्रपुर, राष्ट्रगान के रचियता नोबेल पुरस्कार से सम्मानित विश्वकवि रवींद्रनाथ टैगोर की 162 वीं जयंती के उपलक्ष में ट्रांजिट कैंप विवेकानंद पार्क में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि मेयर रामपाल सिंह, भारत भूषण चुग, उत्तम दत्ता, ओमियों विश्वास ने सयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर किया। मुरादाबाद से आए मयंक शर्मा ने सरस्वती वंदना के साथ विधिवत कार्यक्रम का प्रारंभ किया। नैनीताल से आई नाजिया सहरी ने अपनी शायरी से जवान दिलों में दस्तक दी – ‘ हमने आप की खातिर जमाने से दुश्मनी ली है/ आप हमें गैरों में क्यों शुमार करते हैं।’ राजस्थान की भूमि से आए डॉ कमलेश बसंत ने वीर रस की कविताओं से समा बांध दिया –

‘ देह पूरी लड़ी बस मिली बोटियाँ।

इस शहादत में खेली गईं गोटियां।

तेरे घर पे चूल्हा जला बीस दिन,

पर सियासत में सेकीं गई रोटियाँ।’ बाजपुर के डा सुरेंद्र जैन ने अपनी बात कुछ इस तरह कहीं – ‘युद्ध में दक्ष वीर सिंह की गर्जना ही, बिम्ब व प्रतीक चिन्ह होती पहचान का।

मातृ भू सपूतों के श्रेष्ठ बलिदान से ही, विश्व में बुलंद है तिरंगा हिंदुस्तान का।’ टूंडला से पधारे लाफ्टर चैम्पियन लटूरी लट्ठ ने हंसाते हंसाते लोटपोट कर दिया तो दूसरी ओर अपनी व्यंग्य रचनाओं से चिंतन के लिए भी बाध्य किया- ‘ प्रेम संदेशा हाथ ले ,आंगन खड़ा बसंत।

शकुंतला हैं बाग में, ठेके पर दुष्यंत।’

गीतकार मयंक शर्मा ने अपने क्रम में अपनी रचनाएं कुछ तरह रखी – ‘उन्नत माँ का भाल करें जो उनका वंदन होता है,

बलिदानी संतानों का जग में अभिनंदन होता है,

माटी में मिलकर ख़ुशबू उस नील गगन तक छोड़ गए,

ऐसे वीरों की धरती का कण-कण चंदन होता है।’

हास्यकवि डा जयंत शाह ने विद्रूपताओं पर चित्र खींचते हुए कहा – ‘ नाउम्मीद से जो गुजरा है उम्मीद जगाता है वहींं/ खेला है जिसने लहरों से पार लगाता है वहीं/ इतना आसान नहीं तमाशबीन बनना इस जहां में/ आंसू की कीमत जो जानता है मुस्कुराता है वहीं।’

इसके अलावा कोलकाता से आए पवन बांके बिहारी और बाराबंकी से पधारे आशीष आनंद ने अपने क्रम में लोगों को खूब गुदगुदाया। कार्यक्रम का संचालन कमलेश जैन बसंत ने किया।

कार्यक्रम में जीवन राय, संजय ठुकराल, परिमल राय, दिलीप अधिकारी, 31 वाहिनी के उप सेननायक विमल आचार्य, तरूण दत्ता, सुबीर दास, विजय अधिकारी, विकास राय, पंकज दासगुप्त, मनोज राय, प्रोनांति साहा, प्रदीप साहा, संजय साहा, शुभम दास अमित गौड आदि उपस्थित थे।

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