बचपन की जिंदगी,मनचल मन! बारिश के बीच बच्चे की उछल कूद ने दिला दी बचपन की याद Video में देखें चार वर्षीय बालक की मौज मस्ती
नरेन्द्र राठौर/रुद्रपुर(खबर धमाका)। बचपन की जिंदगी मनचले मन, दोस्तों तराई में पिछले 48 घंटे से लगातार हो रही बारिश के बीच सभी लोग घरों में कैद होकर रह गए।
शुक्रवार को सुबह बारिश के हम भी देर से सोकर उठे,आंखें मसलते हुए जब मैं बाहर देखा तो एक चार वर्षीय बालक को लेकर मैं हैरान रह गया, मेरे घर के भरे पानी में बालक जिसे प्यार से गन्नू कहते हैं,अपने दोनों हाथों से नैकर पकड़कर उछल कूद कर रहा था,उसे देखकर मेरे मन में पुरानी यादें ताजा हो गई,जब हम छोटे छोटे तो गांवों में ऐसे ही उछल कूद किया करते थे, शहरों में बड़े घरों के बच्चों को अभिभावक भले ही उन्हें घरों में कैद करके रखते हो, लेकिन गांवों में आज भी बच्चे ऐसे ही अपनी जीवन की शुरुआत करते है। बच्चों का मनचल मन घरों के आंगन, रास्तों पर लोगों को खुशियां बांटने का काम करते, कहते हैं बच्चे तो बच्चे होते हैं, उन्हें किसी भी प्रकार कि फीक्र नहीं होती,उनके कपड़े,पैर गंदे होंगे,या लोग उन्हें क्या कहेंगे, उन्हें सिर्फ किस तरह मौज मस्ती होगी इसी में मजा आता है, फिर चाहे जमीन में लोटपोट हो पड़े या पानी में उछल कूद मचाना हो।
शुक्रवार को सुबह मैंने जैसे ही अपने पड़ोस के बच्चे को पानी में उछल कूद मचाते देखा, वैसे ही मैंने अपने मोबाइल का कैमरा उसकी तरफ घुमा दिया, आपको पता होगा कि आजकल बच्चे मोबाइल के बारे खूब जानते हैं,बच्चा छट समझ गया,बोला अंकल video बना रहे हैं,वह छट चल पड़ा और पास ही के रेत के ढेर पर चढ़ गया और वह उछल कूद मचाने लगा, जबकि ऊपर बारिश की हल्की हल्की फुहार उठ रही थी,उसे न भीगने का डर था और न ही कपड़े गंदे होने का उसे तो सिर्फ मस्ती नजर आ रही थी।इधर काफी देर उछल-कूद मचाने के बाद बालक अपने घर में चल दिया तो मैंने अपना कैमरा बंद कर दिया।
दोस्तों पहले बचपन की जिंदगी ऐसे ही हुआ करती थी, वर्तमान में बच्चे चलना नहीं सीख पाते है कि हम उन्हें स्कूल भेज देते हैं,और स्कूल में उनपर इतना बोझ डाल दिया जाता कि वह अपनी बचपन की जिंदगी भूल जाते हैं,सुबह उठते ही स्कूल और स्कूल से आते ही स्कूल का काम और फिर सो जाना। जिसने बच्चों के बचपन को छीन लिया है।