उत्तराखंड

रुद्रपुर में वापसी के लिए कांग्रेस और ठुकराल को एक दूसरे की जरूरत!निकाय चुनाव ही तय करेंगे दोनों का भाविष्य।सिर्फ ठुकराल ही रोक सकते हैं भाजपा का विजयरथ

नरेन्द्र राठौर(खबर धमाका)। ठुकराल के लिए कांग्रेस और कांग्रेस के लिए ठुकराल जरुरी,यह लाइन आपको थोड़ी अटपटी जरुर लग रही हो, लेकिन पिछले लंबे समय से रुद्रपुर में वापसी की राह देख रही कांग्रेस पर और पूर्व विधायक ठुकराल पर यह सटीक साबित हो सकती है। दोनों को एक दूसरी की जरूरत है, दोनों एक दूसरे के बैगर आगे बढ़ जायेंगे इसका फिलहाल कोई रास्ता नहीं आ रहा।
उत्तराखंड में निकाय चुनाव का बिगुल बज चुका है। रुद्रपुर नगर निगम की सीट अनारक्षित घोषित हुई है। कांग्रेस और भाजपा दोनों के पास दावेदारों की लंबी लिस्ट है। रुद्रपुर में पिछले लंबे समय महापौर और विधायक के पद पर काबिज भाजपा अपनी जीत निश्चित मान रही है,तो कांग्रेस के समाने उसे रोकने की चुनौती है। फिलहाल कांग्रेस से दावेदारी करने वाले नेताओं की बात करें तो कोई भी भाजपा के समाने टिक पायेगा इसकी उम्मीद कम ही है,इधर पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल ने कांग्रेस में शामिल होने की बात कही है, लेकिन ठुकराल की राह में पहले ही एक आडियो का रोडा खड़ा कर दिया गया है, जिससे अभी तक कांग्रेस में ठुकराल शामिल नहीं पाए हैं।
वह निकाय चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हो पायेंगे या नहीं नहीं यह अभी गर्व में छुपा है, लेकिन रुद्रपुर का राजनीतिक आकलन करें तो फिर ठुकराल के बगैर न तो कांग्रेस का भला होगा और न ही ठुकराल का।
आपको बता कि वर्ष 2012 से पहले रुद्रपुर कांग्रेस का गढ़ था, लेकिन इसके बारे परिस्थिति बदल और कांग्रेस के मजबूत किले पर भाजपा ने कब्जा कर लिया, विधायक हो या मेयर दोनों पदों पर पिछले 13 वर्ष भाजपा का राज कायम हो गया है, कांग्रेस बनवास में लगी है।रुद्रपुर को भाजपा का मजबूत काला माना जाता है। ऐसे भाजपा के इस किले पर कब्जा करना आसान बात नहीं है।
लेकिन कांग्रेस को ठुकराल और ठुकराल को कांग्रेस का साथ मिल जाए तो यह संभव हो सकता है।
लोगों की मानें तो पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल का राजनीतिक अनुभव बहुत बढ़ा हे,वह एक वार पालिकाध्यक्ष तो दो बार विधायक रह चुके हैं। भाजपा से बगावत करने के बाद जब उन्होंने निर्दलीय चुनाव लडा तो फिर 28 हजार के करीब वोट हासिल किया था।ऐसे कांग्रेस और ठुकराल का मिलन दोनों का बनवास खत्म कर सकता है।इसको लेकर भाजपा में भी काफी बेचैनी है। सूत्रों की मानें तो भाजपा कभी नहीं चाहती की ठुकराल कांग्रेस में शामिल हो और महापौर का चुनाव लडे। उन्हें रोकने के लिए भी चक्रव्यूह तैयार किया गया है। पूर्व में वायरल आडियो भी इसका हिस्सा बताया जा रहा है।
अब फैसला कांग्रेस को करना है कि वह अपना वनवास खत्म करना चाहती या फिर नहीं, लेकिन यदि कांग्रेस ने इस बार चूक की तो फिर रुद्रपुर में कांग्रेस पूरी तरह खत्म हो जायेगी,वह ठुकराल का राजनीतिक भविष्य भी अंतिम पड़ाव पर पहुंच जायेगा।

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