विधायक बेहड सिरौली कला के मुद्दे पर अल्पसंख्यकों को कर रहे गुमराह,शुक्ला। पूर्व विधायक शुक्ला ने वर्तमान विधायक के बयान पर किया पटलवार। Video में सुनिए पूरी बात
नरेन्द्र राठौर(खबर धमाका)। क्षेत्रिय विधायक तिलक राज बेहड़ सिरौलीकला के मुद्दे पर झूठ एवं अतार्किक बातें करके अल्पसंख्यकों को गुमराह कर रहे हैं और भाजपा सरकार के विरुद्ध जहर उगलकर मुस्लिमों को गुमराह कर रहे हैं,
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शुक्ला ने कहा कि हल्द्वानी विधानसभा क्षेत्र में किच्छा क्षेत्र शामिल रहा है तथा उत्तर प्रदेश के समय से 2012 तक तिलक राज बेहड़ कई बार इस क्षेत्र के विधायक एवं मंत्री बने, उन्होंने कोई नगर पालिका या नगर पंचायत का गठन नहीं कराया, न ही किच्छा में आसपास के क्षेत्र शामिल कराए, न किच्छा को परगना बना पाए, न ही मुंशीफ़ कोर्ट स्थापित करा पाए, न ही डिग्री कॉलेज बना पाए और न किच्छा में हाईटेक बस अड्डा बन पाए और जिस सिरौली का वो राग अलाप रहे हैं उसे किच्छा में शामिल करने का काम भाजपा ने किया और उसके विरुद्ध जब आपत्तियां मांगी गई किसी भी भाजपाई ने नहीं बल्कि कांग्रेसियों ने किच्छा में शामिल करने पर आपत्ति दी है जो रिकॉर्ड पर है, सरकार ने जब उस आपत्ति पर विचार करके किच्छा की भरी जनसभा में सिरौली को अलग नगर पंचायत बनाने की घोषणा की तो तिलक राज बेहड़ सहित तमाम कांग्रेसियों को सांप सुघ गया कि हम तो सिरौली कला को नगर पंचायत नहीं दे सके और भाजपा ने दे दिया। सिरौली कला में सरकार के इस कार्य से खुश होकर उस समय के विधायक होने के नाते सिरौली कला में मेरा स्वागत हुआ तथा बाकायदा वहां कार्यालय खुल गया सिरौली कला का विकास होने लगा, कांग्रेसियों को लगा कि यदि नगर पंचायत के चुनाव होंगे तो यहां से मुस्लिम चेयरमैन बनेगा, मुस्लिम नेतृत्व उभरेगा, इससे भयभीत होकर कि हम तो मुस्लिम मतदाताओं का तुष्टिकरण कर वोट लेते हैं भाजपा से डराकर वोट बैंक बनाते हैं यदि यहां चेयरमैन बना तो भविष्य में वह विधायक का दावेदार हो सकता है, इसी डर से कांग्रेसियों ने अपने कुछ गुरगो से नगर पंचायत को चलेंज कराया तथा प्रक्रिया में हुई मानवीय त्रुटि को आधार बनाकर नगर पंचायत का गठन कोर्ट से रोक दिया गया।
शुक्ला ने कहा कि अब सिरौली कला के मुस्लिम यह चाहते थे कि सिरौलीकला को किच्छा से अलग कर अपना मुश्तकबील खुद तय करेंगे, कांग्रेसियों ने षडयंत्र पूर्वक सिरौलीकला को अलग कराने का स्टे कर दिया इससे सिरौली कला का विकास प्रभावित होगा।
शुक्ला ने कहा कि आज अपने बयान में सरकार से सिरौलीकला को लेकर सवाल करने वाले बेहड़ यह बताएं कि उन्होंने अपने मंत्रीत्व व कई बार सरकार में रहने के दौरान सिरौलीकला को नगरपालिका या नगर निगम क्यों नहीं बना दिया?
शुक्ला ने सवाल करते हुए कहा कि मुसलमानों को वोट बैंक समझने वाली कांग्रेस को यदि वास्तव में मुसलमानों से प्यार है तो क्या वह अब सिरौली कला के किच्छा में शामिल होने के बाद जब किच्छा में मुस्लिम 52% हो गया है तो वे किच्छा में सिरौली कला के किसी मुस्लिम को टिकट देंगे।
शुक्ला ने कहा कि जब कांग्रेस ने किच्छा से मुस्लिम को नगर पालिका का टिकट दिया तो तिलक राज बेहड़ उसे हराने में लगे थे, जब एक निर्दलीय मुस्लिम नगर पालिका का अध्यक्ष बन रहा था तो कांग्रेस सरकार में लाठियो से पीटकर भगा दिया गया तथा मतगणना में गिनती कर हराया गया ये मुसलमान जानते हैं। शुक्ला ने कहा कि सिरौली कला के बिना किच्छा में नगर पालिका का चुनाव लड़ने से इतना डर क्यों रहे हैं, क्या हिंदुओं पर भरोसा नहीं है या रुद्रपुर से जिस कारण किच्छा भागे वही कारण नगर पालिका में न हो जाए इसलिए कोर्ट का सहारा लिया है।
शुक्ला ने कहा कि विधायक तिलक राज बेहड़ का बयान अज्ञानता से भरा था, वे कह रहे थे कि संविधान में किच्छा नगर पालिका से सिरौली कला को अलग करने का प्राविधान नहीं है, मुझे लगता है कि उनका बयान लिखने वालों ने फिर गड़बड़ी कर दी, क्योंकि यह निर्णय संवैधानिक नहीं प्रशासनिक है। संवैधानिक निर्णय विधानसभा से पारित होते हैं और प्रशासनिक निर्णय कैबिनेट से। संविधान में राज्य सरकारो को जिला बनाने, तहसील बने, उसकी सीमा घटाने व बढ़ाने, गांव में शामिल करने गांव को अलग करने समेत तमाम अधिकार प्राप्त हैं। सिरौलीकला को किच्छा से अलग करने में संविधान संशोधन की आवश्यकता नहीं है ये मात्र कैबिनेट से पारित होने वाला निर्णय है इतनी बात 5 बार के विधायक को पता न होना दुर्भाग्यपूर्ण है। शुक्ला ने कहा कि बेहड़ ने डिमोलिश शब्द का इस्तेमाल किया है जिसका मतलब ध्वस्त करना, धराशाही करना है, सिरौली कला को कहीं डिमोलिश नहीं किया गया वो गुमराह कर रहे हैं। उत्तराखंड में ही कई जगहों पर नगर पालिका से क्षेत्र हटाकर गांव में जोड़े गए हैं, कहीं नगर पंचायत भी नगरपालिका से अलग कर बनी है, कही क्षेत्र बढ़ाए गए हैं या शामिल किए गए हैं इसके लिए संविधान संशोधन की आवश्यकता नहीं पड़ी।
शुक्ला ने कहा कि बेहड़ ने अपने कार्यकाल में कुछ नहीं किया, नगला को जो गांव या शहर कहीं नहीं था उसकी कभी शुध नहीं ली। भाजपा ने नगला को नगर पालिका बनाया तो विरोध किया, उसे उजाड़ने के लिए कोर्ट में भी कांग्रेसियों की शह पर रिट डाली गई। लालपुर इतना विकसित क्षेत्र था बेहड़ ने उसकी चिंता कभी नहीं की, भाजपा सरकार ने लालपुर को नगर पंचायत बनाया। किच्छा के आसपास के देवरिया, किशनपुर, बंडीया, आजादनगर एवं सिरौली कला को भी कभी कांग्रेस ने किच्छा में शामिल करने या अलग नगर पंचायत बनाकर विकास की नहीं सोची सिर्फ भाजपा सरकार ने ही किया। लेकिन रोज एक नया झूठ बोलना बेहड़ की आदत है, जिस तरह उन्होंने रुद्रपुर में मारामारी व गाली गलौज का माहौल बना दिया था जिसके कारण जनता ने उन्हें दो बार लगातार जमानत जप्त कराकर भगाया अब किच्छा के लोग भी उनकी असलियत समझ गए हैं सोने का हिरण जो वो दिखा रहे थे उसकी असलियत लोगों को पता चल गई है, लोगों का मोह भंग हो गया है, कोई नहीं उपलब्धि किच्छा के लिए वो नहीं ला सके, कोई नई सोच नहीं है सिर्फ किच्छा विधानसभा क्षेत्र में विधायक निधि का दुरुपयोग करके अपने नाम के गेट लगाने के अलावा उनकी कोई उपलब्धि नहीं है और किच्छा की आम जनता की बजाय सिर्फ तुष्टिकरण की राजनीति का सहारा है, जिसे अल्पसंख्यक भी समझ गए हैं और सभी का मोंह भंग होने और जनता द्वारा पछताने से परेशान होकर वो मुझे व मेरे परिवार के बारे में अनाप-शनाप व झूठ फरेब बोल लोगों को गुमराह करना चाहते हैं।
शुक्ला ने कहा कि वे किच्छा का क्या विकास करेंगे जो स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए 400 करोड़ के मेडिकल कॉलेज को मात्र 2 करोड़ दिला पाए और 20 वर्ष तक पानी की टंकी पर मेडिकल कॉलेज लिखा रहा, यदि मैं भारत सरकार के मंत्री को लाकर दूसरे विधानसभा क्षेत्र में उस मेडिकल कॉलेज को 384 करोड रुपए दिला सकता हूं तो बेहड़ ने विधायक- मंत्री रहते क्यों नहीं किया? शुक्ला ने कहा कि नगरपालिका की बैठकों में विधायक रहने के दौरान मैंने स्वयं सिरौली कला के पार्षदों को कांग्रेस चेयरमैन कोली के सामने यह कहते देखा और सुना है कि चेयरमैन बनाने के लिए सबसे ज्यादा वोट देने के बाद भी नगर पालिका अध्यक्ष के द्वारा सिरौलीकला की उपेक्षा की जा रही है।
उन्होंने कहा कि मेरे विधानसभा चुनाव के दौरान झूठ बोलकर चुनाव जीतने वाले बेहड़ बताएं कि जीतने के 1 महीने के अंदर पटेरी अंजनिया रोड का हॉट मिक्स की सड़क का वादा करने वाले बेहड़ को 3 साल में भी वह सड़क बनाने की याद नहीं आई, आनंदपुर से फुलसुंगा तक के लोगों से अटरिया रोड को चुनाव जीतने की एक महीने में वह सड़क बनाने का वादा कहां गया और अब मुझे वह सड़क मुख्यमंत्री के 13 अक्टूबर को किच्छा आगमन पर घोषणा करानी पड़ी।