तो रामपाल के कार्यकाल बाद रुद्रपुर के गरीबों को मिलेगा मालिकाना हक का तोहफा। मेयर की झूठा श्रेय लेने की हरसत रह जायेगी अधूरी, विवादित छबी बनी रोड़ा। घड़ियाली आंसू बहाकर हो गए थे कुर्सी पर विराजमान डीएम की कवायद पर तैयार हो चुकी है 2000 फाइल
नरेन्द्र राठौर
रुद्रपुर (खबर धमाका)। मेयर राम सिंह ने जिसके लिए साढ़े चार वर्ष अपनी कुर्सी छोड़ी थी और फिर धडयाली आंसू बहाकर कुर्सी पर बैठ गए थे,उसकी कहानी पूरे शहर ने देखी थी। मेयर ने जनता से बादा किया था वह उनके नाकरेपन से पूरा नहीं हो पाया था। मेयर राम सिंह के कार्यकाल के अब महज तीन दिन बचे हैं, इसके बाद वह पूर्व मेयर बन जायेगें।
रुद्रपुर में गरीबों को मालिकाना हक देने का सपना दिखाकर कई जनप्रतिनिधियों ने कुर्सी हासिल की है, जिसमें पूर्व विधायक राजकुमार,शिव अरोरा और मेयर रामपाल सिंह शामिल हैं। मेयर राम पाल सिंह तो चुनाव में जनता से बादा किया था कि वह जब तक गरीबों को मालिकाना हक नहीं मिलेगा वह अपनी कुर्सी पर नहीं बैठेंगे, लेकिन रामपाल के नाकारेपन से एक भी गरीब को मालिकाना हक नहीं मिल सका, आखिर में अपने कार्यकाल के अंत मेयर जनता को धोखा देकर कुर्सी पर बिराजमान हो गए। उन्होंने खूब आंसू भी बहाए। जिससे उनकी जमकर थू थू भी हुई।मेयर का इसी सप्ताह,यानि दो दिसंबर को कार्यकाल खत्म हो रहा है। जिसके बाद पर पूर्व मेयर हो जायेगा।
इधर 15 अगस्त से गरीबों को मालिकाना हक देने की कमान संभालने वाले डीएम उदयराज सिंह ने कमाल कर दिया। उन्होंने अपनी देखरेख में गरीब में जो आश जगाई थी, उसमें बड़ी सफलता मिली है, प्रशासन ने जिसकी उम्मीद नहीं थी वो कर दिखाया है, सूत्रों की मानें तो अब तक करीब 2000 हजार फाइल तैयार हो चुकी है। जिन्हें सीएम पुष्कर सिंह धामी गरीबों को मालिकाना हक के रुप में सौंपेंगे।
जानकारों की मानें तो फाइल काफी समय से तैयार है। जिसका श्रेय लेने के लिए मेयर रामपाल ने काफी कोशिश की, लेकिन उनकी मंशा अधूरी रह जायेगी।
जिसके पीछे उनका विवादों में कार्यकाल मुख्य बजह माना जा रहा है। मेयर ने चुनाव से पहले जनता से जो भी बादे किए वह अधूरे रह गए हैं।मेयर अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने और गरीब वस्तियों की अनदेखी, भष्टचार के साथ निगम में बने सभागार में अनियमिताओं के आरोप भी लगते रहे। अंतिम समय में नियमों को ताक में रखकर बुलाई गई वोर्ड की बैठक हाईकोर्ट द्वारा निरस्त कर दी गई थी,जो अपने आप में बड़ा सवाल थी।
माना जा रहा कि मेयर के खराब छबी के चलते ही सीएम ने गरीबों मिलने वाले मालिकाना हक का कार्यक्रम उनके कार्यकाल के समापन के बाद ही करना बेहतर समझा है।
मेयर राम पाल सिंह के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।