तेजी से बढ़ रहा एक साथ 2 कंपनियों में नौकरी का ट्रेंड, क्या भारत में है लीगल?
मूनलाइटिंग इन दिनों ये शब्द खून सुनने को मिला। पहली दफा तो सुनने में लगा कि चांद की रोशनी की बात होगी। लेकिन हकीकत को कुछ और ही निकली। फिर मेरी नजर उस खबर पर पड़ी इंफोसिस ने पिछले 12 महीनों में मूनलाइटिंग करने वाले लोगों को नौकरी से निकाल दिया है। कोरोना महामारी का दौर जिसमें इंसानों ने लॉकडाउन, क्वारंटाइन के साथ ही कई नए बदलावों से अवगत हुए। महामारी के दौर में कई नए ट्रेंड देखने को भी मिले।
इनमें से ही एक मूनलाइटिंग भी है। प्रौद्योगिकी पेशेवरों के बीच ‘मूनलाइटिंग’ के बढ़ते चलन ने उद्योग में एक नई बहस छेड़ दी है। टेक महिंद्रा जैसी कुछ कंपनियों ने इसका समर्थन किया है जबकि आईबीएम, विप्रो जैसी अन्य कंपनियों ने इसके बारे में चिंता व्यक्त की है। ऐसे में आइए जानते हैं कि मून लाइटिंग क्या है और इससे जुड़ा ताजा विवाद क्या है? इसके साथ ही ये भी जानेंगे कि कानून की नजर में मून लाइटिंग लीगल है या नहीं।
मून लाइटिंग का मतलब है कि अपनी कंपनी को बिना बताए दूसरी जगह पर काम करना। सीधे शब्दों में कहे तो जब कोई कर्मचारी अपनी नियमित नौकरी के अलावा स्वतंत्र रूप से कोई अन्य काम भी करता है, तो उसे तकनीकी तौर पर ‘मूनलाइटिंग’ कहा जाता है। हालिया दिनों में इसका चलन बेहद बढ़ गया है, खासकर कोरोना के दौर में जब से कर्मचारियों को कंपनियों की तरफ से वर्क फ्रॉम होम की सुविधा दी जाने लगी। कुछ साल पहले तक लोगों को साइड जॉब आम तौर पर अपनी परमानेंट जॉब का काम खत्म करने के बाद या रात के समय या वीकेंड में अतिरिक्त पैसा कमाने के लिए करते थे। इसलिए इसे मून लाइटिंग कहा जाता है।