कम से कम रामपाल की शपथ का तो ध्यान रखें सरकार,खेड़ा। कांग्रेसी पार्षद ने सरकार की नजूल नीति पर उठाए सवाल।बोले गरीबों को मलिकाना हक देने की सरकार की नहीं है मंशा।
नरेन्द्र राठौर
रुद्रपुर। कांग्रेस नेता व पार्षद मोहन खेड़ा ने कहा नजूल भूमि पर बसे गरीबों को निशुल्क मालिकाना हक देने के नाम पर भाजपा सदैव छलावा करती रही है। भाजपा सरकार की नजूल नीति का लाभ सिर्फ एक व्यक्ति को मिला और वह भी इसलिए कि चुनाव से पूर्व मुख्यमंत्री यह संदेश देना चाहते थे कि लोगों को मालिकाना हक मिलना शुरू हो गया है, लेकिन हकीकत यह है कि सरकार ने ऐसी नजूल नीति बनाई कि लोग जटिल प्रक्रिया के चलते आवेदन तक नहीं कर पाए।
उन्होंने एक बयान में कहा कि नगर निगम चुनाव से पूर्व तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सीना ठोंक कर रुद्रपुर की जनता से वादा किया था कि नजूल पर बसे लोगों को मालिकाना हक देंगे। फिर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। विधान सभा चुनाव से ठीक पहले सरकार ने नजूल नीति घोषित की। उस वक्त भाजपा नेताओं ने मिठाइयां बांटी और धन्यवाद कार्यक्रम आयोजित कराए। यहां तक इसका श्रेय लेने की भाजपा नेताओं में होड़ रही। गरीब जनता को गुमराह करके उनके वोट लिए गए। उस समय शासन और प्रशासन ने एक व्यक्ति के दस्तावेज आनन फानन में तैयार कराए और मुख्यमंत्री ने मालिकाना हक दिया। नजूल नीति इस कदर जटिल है कि लोग मालिकाना हक पाने के लिए आवेदन तक नहीं कर पाए हैं।
कहा कि नगर निगम चुनाव के बाद मेयर रामपाल सिंह ने यह शपथ ली थी कि जब तक नजूल भूमि पर बसे लोगों को मालिकाना हक नहीं दिला देते तब तक मेयर की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे। चार साल का वक्त बीत चुका है, लेकिन वह मेयर की कुर्सी पर नहीं बैठ सके हैं। प्रदेश की भाजपा सरकार को मेयर की शपथ का ध्यान रखते हुए कम से कम अब तो रामपाल सिंह को मेयर की कुर्सी पर बैठने का मौका देना चाहिए। यह तभी संभव है जब सरकार गरीबों को नजूल भूमि का मालिकाना हक प्रदान कर दे। अन्यथा बगैर कुर्सी पर बैठे ही मेयर रामपाल सिंह का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा।
श्री खेड़ा ने आरोप लगाया कि सरकार की नीयत नहीं है कि गरीबों को नजूल भूमि पर मालिकाना हक मिले। भाजपा सिर्फ इस मुद्दे पर गरीबों के वोट लेती रही है और अब फिर से गरीबों को छलने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने सरकार से मांग की कि नजूल भूमि पर बसे हजारों गरीब परिवारों को निशुल्क मालिकाना हक देने के लिए नजूल नीति का सरलीकरण किया जाए, ताकि गरीब अपने मकान के मालिक बन सकें।