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उधमसिंह नगर

सीएम साहब, रुद्रपुर रजिस्ट्रार के कारनामें तो देखों। रेरा के अध्यक्ष करते रहे अधिकारियों के साथ करते बैठक,रजिस्ट्रार ने सामिया लेक सिटी की कुर्क जमीन की कर दी रजिस्ट्री। पहले भी हुई है कुर्क जमीन की 37 रजिस्ट्रीयां। तहसील प्रशासन की भूमिका भी संदेह के घेरे में।

 

नरेन्द्र राठौर

रुद्रपुर। अगर रखवाले ही चोर बन जाये तो फिर किसपर और कौन भरोसा करेगा। न्याय की उम्मीद भी फिर धूमिल हो जाती है। उत्तराखंड में ईमानदार की मिसाल देने वाले सीएम पुष्कर सिंह धामी के राज्य ऐसा हो तो और भी हैरान कर देता है, लेकिन ऊधमसिंहनगर में जो रहा उसे देखकर सभी हैरान हैं। अफसर अपना पेट भरने में लगे और जनता के साथ खून पसीने की कमाई पर डाका डाला जा रहा है।

 

यह बात हम यूं ही नहीं कर रहे हैं,इसके पुख्ता प्रमाण भी मौजूद है। सरकार और मुख्यमंत्री की साख पर रुद्रपुर के निबंधक कार्यलय में तैनात रजिस्ट्रार अविनाश कुमार बेखौफ होकर बट्टा लगा रहा है, जिसमें स्थानीय अधिकारियों की चुप्पी भी सवालों के घेरे में है। हम आपको बताते हैं कि 2006 में रुद्रपुर के काशीपुर रोड पर दानपुर क्षेत्र में काटी गयी सामिया लेक सिटी कालौनी ने बड़ी संख्या में फ्लैट खरीदने वाले लोगों को पैसे पर कुंडली मार ली है। वह बर्षो ना तो उन्हें फ्लैट दे रहा है और न ही पैसे वापस कर रहा है।

सामिया प्रबंधन पैसा वापस मांगने वालों कै धमकी भी देता है। अपना लाखों रुपया गंवा चुके करीब दो दर्जन लोगों इसको लेकर रेरा कोर्ट भी पहुंचे हैं, जिसमें रेरा कोर्ट ने सामिया ग्रुफ की आरसी काटकर तहसील प्रशासन को रिकवरी के आदेश दे रखे। पिछले बर्ष पैसा न देने तहसील प्रशासन ने सामिया लेक सिटी की करीब44 एकड़ जमीन कुर्क कर दी थी, इसके बाद भी सामिया प्रबंधन ने पैसा जमा नहीं कराया। सामिया की जमीन कुर्क होने की बात खतौनी में भी दर्ज है।

इस मामले में सबसे मजेदार बात पिछले सप्ताह तब निकलकर समाने जब एक व्यक्ति ने सूचना अधिकार के तहत निवंधक कार्यलय रुद्रपुर से जानकारी मांगी। जानकारी बड़ी हैरान करने वाली है,दास्ताबेजों के मुताबिक सामिया की जो जमीन कुर्क हुई है, रुद्रपुर रजिस्ट्रार ने उसी जमीन पर एक दो नहीं, 37 लोगों के नाम रजिस्ट्री कर दी है।यही नहीं 11 नवम्बर को तेरा के अध्यक्ष जब कलेक्ट्रेट में अधिकारियों के साथ सामिया को बैठकर कर दिशा निर्देश दे रहे उस समय भी सामिया का डायरेक्टर सगीर खान कुर्क जमीन में से आधा एकड़ जमीन की रजिस्ट्री करा रहा था। सवाल यह है की इससे पहले हुई 37 रजिस्ट्रीयों की जानकारी तहसील प्रशासन को लगी नहीं या फिर तहसील प्रशासन जानकर भी अनजान बना हुआ था, जानकारों की मानें रजिस्ट्री कराने के बाद जमीन खरीदने वाले तहसील में दाखिल खारिज कराने जाते हैं,उनकी तहसीलदार, पटवारी से मुलाकात भी होती है,जब पटवारी के समाने ऐसे मामले समाने आ रहे थे,तो उसने अपने उच्च अधिकारियों को अवगत क्यों नहीं कराया। अगर उसने अवगत कराया था,तो तहसील प्रशासन ने समय रहते एक्शन क्यों नहीं लिया,यह भी जांच का हिस्सा है।

कुर्क जमीन की रजिस्ट्री होने को लेकर रेरा के अध्यक्ष रविन्द्र पवार भी हैरान हैं।उनके समाने जब कल मीडिया ने सवाल उठाए तो उन्होंने कहा कि यह गंभीर मामला है,कुर्क जमीन की बिक्री कैसे हो सकती है, उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन को इसकी जांच करनी चाहिए। उन्होंने सामिया प्रबंधन पर बकाया पैसे की वसूली सख्ती से करने के आदेश भी दिया। लेकिन सवालों के घेरे खड़ा जिला प्रशासन ऐसा करेगा इसकी उम्मीद भी कम ही है।

रजिस्ट्रार पर पहले भी लगते हैं रहे भष्टाचार के आरोप

रुद्रपुर के निबंधक कार्यलय में तैनात रजिस्ट्रार का यह पहला कारनामा नहीं है, छः माह पहले अधिवक्ताओं और दास्तावेज लेखकों ने उसके खिलाफ मोर्चा खोला, अधिवक्ताओं ने रजिस्ट्रार पर अपने कार्यकाल में निजि कर्मियों को रखने, स्थानांतरित हो चुके बाबू से काम करने व रजिस्ट्रार पर दो प्रतिशत कमीशन लेने का आरोप लगाया था, अधिवक्ताओं का कहना था की रजिस्ट्रार अपने आपको को सीएम का करीबी बताकर लूट मचा रहा है,जो उसका विरोध करता है, उसके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है।

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