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दिल्ली में सम्मानित हुए बॉयोटेक के वैज्ञानिक डॉ. मणिन्द्र मोहन शर्मा।पर्यावरण परिषद नें दिल्ली में किया सम्मानित, पर्यावरण एवं युवा समाज के लिए विशिष्ट और प्रेरक कार्यों के लिए मिला सम्मान।

नरेन्द्र राठौर 

पंतनगर। उत्तराखंड जैवप्रौद्योगिक परिषद (बॉयोटेक विभाग) पंतनगर में बतौर वैज्ञानिक कार्यरत डॉ. मणिन्द्र मोहन शर्मा को पर्यावरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय और प्रेरक कार्य करने पर नई दिल्ली में राष्ट्रीय पर्यावरण जागरूकता सम्मान से नवाजा गया है। यह पुरस्कार विश्व पर्यावरण परिषद के दूसरे राष्ट्रीय अधिवेशन में मुख्य अतिथि रहे पदम श्री डॉ. विजय कुमार शाह व दिल्ली तकनीकी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर पी.बी. शर्मा और विश्व पर्यावरण परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर गणेश चन्ना नें दिया।
इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में डॉ. शर्मा को यह पुरस्कार युवाओं को प्रशिक्षण, कार्यशाला, सेमिनार, भ्रमण और विज्ञान परक आलेखों के माध्यम से पर्यावरण शिक्षा व शोध के लिए जागरूक करने तथा जल साक्षरता व सुरक्षा के क्षेत्र में किये जा रहे विशिष्ट और प्रेरक कार्यों के लिए दिया गया। सम्मान में मेडल और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया है।


विश्व पर्यावरण परिषद् के अध्यक्ष प्रोफेसर गणेश चन्ना नें बताया कि विश्व पर्यावरण परिषद विगत कई वर्षों से विश्व स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य कर रही है और संयुक्त राष्ट्र परिषद (यूनेस्को) के साथ कई पर्यावरणीय कार्यक्रमों में सहयोगी संस्था के रूप में कार्यरत है। यहाँ देश भर के बीस सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं पर्यावरणविदों को पर्यावरण भूषण, पर्यावरण श्री सहित राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण जागरूकता पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
पुरस्कार मिलने पर बॉयोटेक परिषद के निदेशक प्रोफेसर संजय कुमार नें खुशी व्यक्त की और डॉ. शर्मा को एक सक्रिय विज्ञान संचारक बताते हुए उनके अनुकरणीय व उत्कृष्ट कार्यों की सराहना की और इस उपलब्धि के लिए बधाई दी। इस उपलब्धि के लिए डॉ. शर्मा नें माता-पिता के आशीर्वाद और गुरुजनों तथा बड़ों के मार्गदर्शन को प्रेरणा का स्रोत बताया।

फ़ोटो: नई दिल्ली में डॉ. मणिन्द्र मोहन को राष्ट्रीय पर्यावरण जागरूकता सम्मान देते पदम श्री डॉ. विजय कुमार शाह एवं दिल्ली तकनीकी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर पीबी शर्मा।

मिल चुके हैं कई सम्मान (बॉक्स)
पंतनगर। डॉ. मणिन्द्र मोहन शर्मा पर्यावरणीय प्रयोगशाला के प्रभारी हैं और विगत कई सालों से तराई के पेयजल स्रोतों की गुणवत्ता जाँच एवं निगरानी, प्रदूषण के कारकों की पहचान के साथ जल संरक्षण व सुरक्षा के लिए युवा और समाज को जागरूक कर रहे हैं। पूर्व में डॉ. शर्मा को इनके कार्यों के लिए कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के सम्मान मिल चुके हैं, जिसमें एशियन एक्सीलेंस अवार्ड, ग्लोबल ग्रीन अवार्ड, नेशनल इंस्पिरेशन अवार्ड, युवा प्रेरक सम्मान व वाटर वारियर्स अवार्ड मुख्य है। बता दें कि हाल ही में डॉ. शर्मा नें कम समय में अधिकतम हैंडपम्पों की जल गुणवत्ता जाँच करके अपना नाम इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकार्ड्स में दर्ज कराया है। डॉ. मोहन दो बार युवा वैज्ञानिक पुरस्कार से भी नवाजे गए हैं।

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