उत्तराखंड में चाहकर भी निकाय चुनाव नहीं टाल सकती सरकार!दो जून को समाप्त हो रहा प्रशासकों का कार्यकाल।संविधान में आगे बढ़ाने का नहीं है कोई प्रावधान
नरेन्द्र राठौर
रुद्रपुर(खबर धमाका)। उत्तराखंड में निकाय चुनावों को लेकर संवैधानिक संकट खड़ा हो गया है। सरकार के समाने लोकसभा चुनाव की लगी आचार संहिता के दौरान प्रशासकों के खत्म हो रहे कार्यकाल को बढ़ाने या फिर चुनाव कराने की चुनौती है,तो संविधान में प्रशासकों का कार्यकाल 06 माह से ज्यादा बढ़ाने का नियम नहीं है, वहीं लोकसभा चुनाव के दौरान दूसरी आचार संहिता नहीं लग सकती है।
उत्तराखंड में पिछले दो दिसंबर को निकायों का कार्यकाल खत्म हो चुका है, निकायों में सरकार ने प्रशासकों को तैनात कर दिया था,जिनका कार्यकाल 02 जून को समाप्त हो रहा है।वहीं लोकसभा की आचार संहिता 06 जून को समाप्त होगी। सरकार ने कोर्ट में भी 30 जून तक चुनाव कराने का शपथ पत्र दिया है। बताया जाता कि संविधान में प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाने का कोई कोई प्रावधान नहीं है, यानी सरकार चाहकर भी प्रशासकों का कार्यकाल आगे नहीं बढ़ा सकती, दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव की 06 जून को समाप्त होने वाली आचार संहिता के चलते निकाय चुनाव की घोषणा भी नहीं है सकती है। यानी सरकार चाहकर भी 06 से पहले चुनाव की घोषणा नहीं कर सकती है, ऐसे में सवाल उठ रहा कि 02 जून के बाद निकाय किसके हवाले किए जायेंगे। बताया जा रहा कि सरकार इस संवैधानिक सकट का हल निकालने के लिए मंथन कर रही है,
मतलब साफ है कि सरकार भले ही कुछ दिनों के लिए कोई हल निकाल लें, लेकिन निकाय चुनाव ज्यादा दिनों तक नहीं टाल सकती है।