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लिट्टी-चोखा रुद्रपुर में पूर्वांचल के लोगों को एकजुट करने का करेगा काम।देर रात रुद्रा इंक्लेव में हुए कार्यक्रम में जुटे सैकड़ों लोग 

नरेन्द्र राठौर/रुद्रपुर(खबर धमाका)। लिट्टी चोखा,यह नाम उत्तराखंड के लोगों के लिए भले ही नया हो, लेकर पूर्वांचल पर लिट्टी चोखा उसी तरह मनाया जाता है,जिसपर हमारे यह होली, दीपावली मनाई जाती है। पूर्वांचल में यूपी और बिहार के सभी लोग इसे भारी उत्साह से मनाते हैं। रुद्रपुर में पूर्वांचल भारी संख्या में लोग रहते हैं। रविवार को रुद्रा इंक्लेव में समाज के लोगों ने लिट्टी चोखा कार्यक्रम का आयोजन किया।जिसमें समाज के लोगों में भारी जोश नजर आया

शहर की रुद्रा इंक्लेव में लिट्टी चोखा कार्यक्रम की झलकियां 

कार्यक्रम के दौरान लोगों ने कहा कि ऊधमसिंहनगर में बड़ी संख्या में पूर्वांचल के लोग रहते हैं, लेकिन उनमें एकजुट नहीं है। अब वह हर माह लिट्टी चोखा कार्यक्रम करके समाज के लोगों को एकजुट करने का काम करेगें।                     बताया जाता किबिहार के मशहूर लिट्टी चोखा का स्वाद हर किसी को भाता है. घी में डूबी हुई गरमागरम लिट्टी, बैंगन का भर्ता, हरी मिर्च, प्याज और नींबू की सलाद का स्वाद बेहद उम्दा लगता है। लिट्टी चोखा बिहार और यूपी का प्यार है।वैसे तो ये चूल्हे पर या लिट्टी मेकर में तैयार किया जाता है, लेकिन इसे कुकर में भी आसानी से मजेदार स्वाद वाली लिट्टी तैयार कर सकते हैं। लिट्टी चोखा, बिहार का प्रसिद्ध व्यंजन है. यह भोजपुरी क्षेत्र से उत्पन्न हुआ है और बिहार के लोगों के बीच मौर्य काल से ही प्रसिद्ध है. हालांकि, यह उत्तर प्रदेश के लोगों को भी पसंद है. लिट्टी चोखा को विदेशों में भी काफ़ी पसंद किया जाता है।

लिट्टी चोखा के बारे में कुछ और खास बातें।                  लिट्टी चोखा को बनाने के लिए साबुत गेहूं, काले चने के आटे, और बैगन का इस्तेमाल किया जाता है।                       लिट्टी में सत्तू (चने या दाल का पाउडर) भरा जाता है।लिट्टी चोखा को बैगन के भर्ते या मैश किए हुए बैंगन के साथ खाया जाता है।लिट्टी चोखा को बनाने में ज़्यादा समय नहीं लगता और यह पेट के लिए फ़ायदेमंद होता है।लिट्टी चोखा को खाने का मज़ा रायते के साथ लेना चाहिए।लिट्टी चोखा को गेट-टुगेदर, किटी पार्टी, पिकनिक जैसे खास मौकों पर परोसा जा सकता है.

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