तहसीलदार-नयाब तहसीलदारों के स्थानांतरण पर सवाल, राजस्व विभाग ने मंडलायुक्तों से मांगा जबाव। दो दिन में देना होगा स्पष्टीकरण। नियम के तहत स्थानांतरण नहीं कर सकते मंडलायुक्त
नरेन्द्र राठौर
देहरादून(खबर धमाका)। उत्तराखंड में हाल ही में कुमाऊं व गढ़वाल मंडल में मंडल आयुक्तों किए गये तहसीलदार और नयाब तहसीदरों के स्थानांतरण पर सवाल खड़े हो गए हैं। राजस्व विभाग ने नायब तहसीलदार व तहसीलदारों के तबादलों पर राजस्व परिषद ने गढ़वाल और कुमाऊं के मंडलायुक्तों में एक सप्ताह में जबाब तालब किया है। उनसे पूछ है कि किन नियमों के तहत तबादले किये गए है। परिषद् के आयुक्त एवं सचिव चंद्रेश कुमार की ओर से जारी पत्र में दोनों मंडलायुक्तों के आयुक्तों से पूछा गया है कि किस नियमावली या एक्ट के तहत नायब तहसीलदार और तहसीलदारों के तबादले किये गया है। उत्तराखण्ड के अधीनस्थ राजस्व कार्यपालक (नायब तहसीलदार 1) सेवा नियमावली 2009 में मंडलायुक्त को नायब तहसीलदार के स्थानांतरण का प्राधिकार नहीं है। इसी तरह से उत्तर प्रदेश राजस्व कार्यकारी (तहसीलदार ) सेवा नियमावली 1966 के अनुसार मण्डलायोक्तओं को तहसीलदारों के हस्तांतरण का अधिकार नहीं दिया गया है। स्थानांतरण की शक्ति किसी विशेष अवसर पर दी जाती है, जो मात्र उसी उद्देश्य के लिए प्रयोग में ले जा सकती है। जबकि स्थानांतरण, तैनाती या दण्ड देने के सम्बन्ध में कोई भी सामान्य शक्ति विशेष के आदेश मंडलायुक्तों को नहीं दिए गए है।
उत्तराखण्ड अधीनस्थ राजस्व कार्यपालक (नायब तहसीलदार) सेवा नियमावली, उ०प्र० राजस्व कार्यकारी (तहसीलदार) सेवा नियमावली, 1966 के 2009 तथा विवेचन / परिशीलन से स्पष्ट है कि आयुक्तों को तहसीलदार / नायब तहसीलदार के अपने क्षेत्रान्तर्गत स्थानान्तरण का कोई प्राधिकार नहीं है, जबकि आयुक्तों द्वारा अपने क्षेत्रान्तर्गत अनिवार्य / अनुरोध के आधार पर तहसीलदार / नायब तहसीलदारों का स्थानान्तरण किया जा रहा है।
उत्तराखण्ड में प्रख्यापित नायब तहसीलदार सेवा नियमावली, 2009, तहसीलदार सेवा नियमावली, 1966 एवं सुसंगत नियमों के अन्तर्गत मण्डलायुक्तों द्वारा नायब तहसीलदार / तहसीलदार का मण्डलान्तर्गत स्थानान्तरण करने के संबंध में प्राधिकारिता एवं सुसगत नियम / आदेश परिषद को दिनांक 05-7-2023 तक उपलब्ध कराने का कष्ट करें। यदि निर्धारित तिथि तक पक्ष प्राप्त नहीं होता है तो यह समझा जायेगा कि इस विषय में आप द्वारा कुछ नहीं कहना है । प्रकरण अत्यन्त महत्वपूर्ण है, व्यक्तिगत ध्यान अपेक्षित है।