कक्षाओं से साइबरस्पेस तक: शिक्षा प्रौद्योगिकी के प्रभाव पर छात्रों की भागीदारी का अध्ययन। डॉक्टर भरत पाण्डे असिस्टेंट प्रोफेसर,रसायन विज्ञान विभाग सरदार भगत सिंह राजकीय महाविद्यालय
नरेन्द्र राठौर
रुद्रपुर(खबर धमाका)। आधुनिक युग में शिक्षा प्रणाली में आये बदलाव ने छात्रों को नये संभावनाओं की ओर धकेल दिया है। शिक्षा की दुनिया में उभरती तकनीकी उपकरणों और डिजिटल माध्यमों ने छात्रों की भागीदारी को बढ़ावा दिया है और उन्हें विचारशीलता, समस्या समाधान क्षमता, सहयोग और स्वतंत्रता के क्षेत्र में सुविधाजनक अवसर प्रदान किया है। शिक्षा प्रौद्योगिकी ने कक्षाओं को साइबरस्पेस में ले जाकर छात्रों को नए गतिविधियों और संगठनात्मक तरीकों के साथ पढ़ाई करने का मौका दिया है।
शिक्षा प्रौद्योगिकी का उपयोग करने से पहले, छात्रों को नए और रोचक विषयों के साथ जुड़ने का मौका मिलता है। दिग्गजों द्वारा बनाए गए ऑनलाइन वीडियो, वेबसाइटें, और ऐप्स छात्रों को रूचिकर विषयों पर गहराई से ज्ञान प्राप्त करने का अवसर देते हैं। इसके अलावा, शिक्षा प्रौद्योगिकी छात्रों को ग्लोबल समुदाय के साथ जोड़कर उन्हें विभिन्न भाषाओं, संस्कृतियों और सोच के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अद्यतित रखती है। यह उन्हें विश्वव्यापी दृष्टिकोण विकसित करने, नए विचारों को समझने और अपनी सोच को विकसअनुभव करने का अवसर प्रदान करती है। शिक्षा प्रौद्योगिकी के उपयोग से छात्रों की स्वतंत्रता और सहयोग की क्षमता भी विकसित होती है। वे अपनी खुद की गतिविधियों को संचालित करने का अधिकार प्राप्त करते हैं और अपनी अभिव्यक्ति को सुधारते हैं। ऑनलाइन संवादों, ग्रुप परियोजनाओं और वेबिनारों के माध्यम से, छात्र सहयोग करते हैं और अपने विचारों को साझा करते हैं। इससे उनकी सामाजिक और संघटनात्मक क्षमता भी विकसित होती है।शिक्षा प्रौद्योगिकी ने सामान्य शिक्षा में भी विकास लाया है। इसके माध्यम से, शिक्षकों को छात्रों की प्रगति का समयगामी आकलन करने और उन्हें व्यक्तिगत रूप से मार्गदर्शन करने का अवसर मिलता है। शिक्षा प्रौद्योगिकी के उपयोग से शिक्षक सामग्री को सरल, सुलभ और रूचिकर बना सकते हैं, जिससे छात्रों का ध्यान आकर्षित होता है। इसके साथ ही, शिक्षा प्रौद्योगिकी छात्रों को विभिन्न प्रकार के संसाधनों और अभ्यास कार्यक्रमों में भागीदारी करने का अवसर देती है।
हालांकि, शिक्षा प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के साथ साथ कुछ चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है। छात्रों को तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है और उन्हें तकनीकी दक्षता की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, शिक्षा प्रौद्योगिकी का उपयोग करते समय छात्रों को इंटरनेट कनेक्शन और उपकरणों की उपलब्धता की भी आवश्यकता होती है। कई छात्रों के पास इसकी सुविधा नहीं होती है और वे तकनीकी संबंधित समस्याओं का सामना कर सकते हैं।
दूसरी चुनौती यह है कि शिक्षा प्रौद्योगिकी का सभी छात्रों तक समान रूप से पहुंचना मुश्किल हो सकता है। कुछ छात्रों के पास इसकी सुविधा नहीं होती है क्योंकि उनके पास उपयोगी उपकरण नहीं होते हैं या उनके घरों में इंटरनेट कनेक्शन नहीं होता है। इसलिए, सभी छात्रों को समान रूप से शिक्षा प्रौद्योगिकी का लाभ उठा पाना मुश्किल हो सकता है। इन चुनौतियों के बावजूद, शिक्षा प्रौद्योगिकी छात्रों को एक नई और सुविधाजनक शिक्षा अनुभव प्रदान करती है। यह उन्हें अधिक सक्रिय बनाती है, उनकी रुचि को जगाती है और उन्हें तकनीकी संबंधित कौशल विकसित करने का मौका देती है। शिक्षा प्रौद्योगिकी अवसरों के माध्यम से, छात्र नए और विशेषज्ञता क्षेत्रों का अन्वेषण कर सकते हैं और अपनी रुचियों और क्षमताओं को विकसित कर सकते हैं।