बॉयोटेक के वैज्ञानिक डॉ. मणिन्द्र मोहन का नाम इन्टरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्डस में दर्ज।अधिकतम हैंडपंपों के जल नमूनों को बारह घण्टे के अंदर संग्रह और जांच कर बनाया कीर्तिमान।
नरेन्द्र राठौर
। उत्तराखंड जैवप्रौद्योगिकी परिषद (बॉयोटेक विभाग) में बतौर वैज्ञानिक कार्यरत डॉ. मणिन्द्र मोहन नें पब्लिक उपयोग में आने वाले एक सौ पैसठ हैंडपंपों के जल नमूनों को संग्रह करके एवं उनके तीन पैरामीटर क्रमशः पीएच मान, टीडीएस और टर्बिडिटी की जाँच प्रयोगशाला में बारह घण्टे के अंदर करके अपना नाम इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्डस में दर्ज करा लिया है। इसके लिए डॉ. मोहन को इन्टरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स की ओर से प्रमाण-पत्र एवं मेडल प्राप्त हुए हैं।
बता दें डॉ. मोहन एक सक्रिय विज्ञान संचारक हैं और विज्ञान शिक्षा, शोध के अलावा विज्ञान आलेख लेखन, पर्यावरण एवं सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय हैं। डॉ. मोहन एवं टीम सदस्य अनुज कुमार जॉन, श्रुति जोशी एवं छह प्रशिक्षणार्थीयों नें हैंडपंपों के जल नमूनों को संग्रह करके उनके तीन पैरामीटर क्रमशः पीएच मान, टीडीएस और टर्बिडिटी की जाँच प्रयोगशाला में एक निश्चित अवधि में पूर्ण करके यह उपलब्धि हासिल किया है।
डॉ. मोहन नें बताया कि इस कार्य के लिए जिला उधमसिंह नगर के सितारगंज, किच्चा, शांतिपुरी, बिन्दुखत्ता, पंतनगर, हल्दी, छत्तरपुर, कालीनगर, जयनगर, दिनेशपुर, बसंतीपुर, रुद्रपुर, कैम्प, फुलसूंगा, गंगापुर, गणेशपुर, लालपुर एवं आस-पास के क्षेत्रों से पब्लिक उपयोग से जुड़े हैंडपंपों के जल नमूनों को संग्रह करके प्रयोगशाला में इनका परीक्षण बारह घंटे के अंदर किया गया। रिकॉर्ड संस्था नें सघन जांच और सत्यापन के बाद प्रमाण-पत्र और मेडल प्रदान किये हैं।
बायोटेक परिषद के निदेशक डॉ. संजय कुमार व समस्त स्टाफ ने डॉ. मोहन को एक कुशल विज्ञान संचारक बताते हुए उनको इस उपलब्धि के लिए बधाई दी। सहयोग के लिए डॉ. मोहन नें प्रायोजक संस्था रे फाउंडेशन के चेयरमैन कौशल कुमार, प्रियंका कुलश्रेष्ठ और प्रतिभागी प्रशिक्षणार्थियों स्वाति जोशी, तन्वी उपाध्याय, मेहर फातिमा, बलविंदर कौर, कविता जोशी व प्रियंका नेगी का आभार जताया। डॉ. मोहन नें इस उपलब्धि का श्रेय माता-पिता, परिवार और गुरुजनों के आशीर्वाद और मार्गदर्शन को दिया।
फ़ोटो 1: इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकार्ड्स नें दिया यह प्रणाम-पत्र व मेडल।
फ़ोटो 2: डॉ. मणिन्द्र मोहन को इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकार्ड्स से प्राप्त प्रमाण-पत्र व मेंडल को देते हुए बॉयोटेक के निदेशक डॉ. संजय कुमार और रे फाउंडेशन के चेयरमेन कौशल कुमार।