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उत्तराखंड

मानवता शर्मशार, जिंदगी की कीमत आठ लाख! कंपनी में तीन घंटे तड़पती रही महिला,तोड़ा दम। कंपनी छिपाई चोट लगने की जानकारी। परिजन शव लेकर पहुंचे कंपनी, विधायक बोले गंभीर लापरवाही,उघोगों में यह लापरवाही नहीं होगी बर्दाश्त।

नरेन्द्र राठौर

रुद्रपुर। सिडकुल की एक कंपनी में मानवता को शर्मशार करने वाली घटना समाने आयी है। कंपनी प्रबंधन ने अपने आपको बचाने के लिए घायल महिला को तीन घंटे तक कंपनी में तड़पने दिया,और फिर जब परिजन मौके पर पहुंचे तो महिला के आचनक बीमार होने की बात कहकर चलता कर दिया। महिला ने एक सप्ताह की वजद्दोजहद के बाद दम तोड दिया है। बताया जा रहा की कंपनी में महिला के सिर में सिर में गुम चोट लगी थी, जिससे उसके सिर में हेड इंर्जी हो गयी,जिसका कई दिनों तक पता न लगने डाक्टर उसके पेट का इलाज करते रहे। और जब तक पता चला तब तक देर चुकी थी। विधायक शिव अरोरा ने इस घटना को गंभीर बताते हुए उघोगपतियों को भविष्य में कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी। फिलहाल महिला की मौत और कंपनी की लापरवाही का नतीजा रुपया देकर पूरा किया गया, लेकिन क्या ऐसी मानविय भूल करने वाले लोगों की इतनी सजा काफी है,यह सवाल अभी बना हुआ है।

 

 

जानकारी के मुताबिक ट्रांजिट कैंप क्षेत्र के मोहल्ला नारायण कालौनी निवासी सोहन लाल की पत्नी पूरन देई सिडकुल के सेक्टर न.05 में स्थित पिल्को हैल्थ कंपनी में काम करती थी। सोहनलाल के मुताबिक 31 मार्च को सुबह करीब 8 बजे उसके पास कंपनी से फोन आया की उसकी पत्नी की तबीयत खराब है। वह करीब दो घंटे के बाद कंपनी पहुंचा तो देखा की उसकी पत्नी बेहोश पड़ी हुई है। कंपनी प्रबंधन ने उसे बताया की वह अचानक बीमार हो गरी है,उसे अस्पताल ले जाएं,वह अपनी पत्नी को जिला अस्पताल ले गया तो वह से उसे हल्द्वानी रेफर कर दिया। हल्द्वानी सुशील तिवारी अस्पताल में भी हालत गंभीर होने की बजह से उसकी पत्नी को बरेली रैफर कर दिया गया। जहां पर उसकी हालत लगातार बिगड़ती गयी। पांच अप्रैल को उसे कंपनी के कुछ लोग ने बताया की उसकी पत्नी सीडी से नीचे गिरी थी, उसके सिर में चोट लगी। जिससे उसके होश उड़ गए। बरेली अस्पताल में जब उसने चिकित्सकों को बताया तो सीटी स्कैन किया, जिसमें पता चला की उसकी पत्नी के सिर में हड्डी टूटी है, जबकि चिकित्सा जानकारी न होने पर उसके पेट का इलाज कर रहे, इसके बाद डाक्टरों ने उसे बचाने की पूरी कोशिश की लेकिन महिला ने रविवार को दम तोड दिया। परिजनों का साफ कहना की यदि कंपनी प्रबंधन ने समय रहते महिला को अस्पताल में भर्ती कराकर सही जानकारी दी होती तो उसकी जान बच जाती। इधर महिला की मौत पर परिजन शव लेकर सीधे कंपनी पहुच गए। जहां घंटों चली वार्ता के बाद कंपनी प्रबंधन ने पीड़ित परिवार को आठ लाख रुपया देकर मुंह बंद कर दिया है। सवाल यह उठता की क्या अपना भला चाहने वाले ऐसे लोगों के लिए इतनी सजा काफी है। क्या आप लाख रुपया एक जान की कीमत है। सिडकुल में यह पहला मामला नहीं। औघोगिक इकाइयां जिन गरीब श्रमिकों की बजह बड़ा करोवार कर रही है,हादसे के बाद उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया जाता है। घायल श्रमिकों को अस्पताल तक में भर्ती नहीं कराया जाता।, लेकिन सिस्टम ऐसे मानवता के दुश्मनों पर हमेशा मैहरवान रहता है, जिससे इनके हौसले बुलंद हैं। मामले की सूचना पर पहुंचे रुद्रपुर विधायक शिव अरोरा ने कहा की यह वास्तव में बड़ी लापरवाही की घटना है। फिलहाल महिला के परिजनों को कंपनी की तरफ से आठ लाख रुपया दिलाए गए। विधायक कहा की वह मानते हैं की पैसे से महिला की जिंदगी की कीमत नहीं लगाई जा सकती। उन्होंने उघोग का संचालन करने को भविष्य में ऐसी भूल न करने की हिदायत दी है।

 

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