तो क्या अपने संकल्प से डिगे रामपाल। कुर्सी का मोह शपथ पर पड़ेगा भारी।कितने गरीबों को मिला नजूल का फायदा,मेयर को देना होगा जबाब ,बिना बादा पूरे हुए बैठेंगे कुर्सी पर,
नरेन्द्र राठौर
रुद्रपुर (खबर धमाका)। कहते राजनीति में जो बोला है, उसमें सच्चाई उम्मीद और भरोसा किया तो फिर आप महामूर्ख है। नेता का काम भी जनता को मूर्ख बनाना है। इसका उदाहरण रुद्रपुर नगर निगम में साढ़े चार साल मेयर बने रामपाल सिंह है।मोदी के नाम पर जीत हासिल करने के बाद रामपाल ने नगर निगम की कुर्सी पर अपना शपथपत्र रख दिया था और कहा था की जब तक शहर के गरीबों को नजूल का मालिकाना हक नहीं मिलेगा वह कुर्सी नहीं बैठेंगे। उन्होंने इसकी शपथ ली है। पुराने भवन में यदि आप गए होंगे तो आपने इसे जरूर देखा होगा,मेयर की मूल कुर्सी पर शीशे में जड़ा शपथ और बगल में छोटी कुर्सी पर मेयर। पिछले साढ़े चार में सरकारों ने नजूल नीति पर की घोषणाएं की है, सफेदपोश ने मिठाईयां भी बांटी है, लेकिन क्या गरीबों को नजूल पर मालिकाना हक मिला है,यदि मिला है,तो मेयर को इसकी लिस्ट जारी करनी। हकीकत यह की किसी गरीब को सरकार की नजूल नीति का फायदा नहीं मिला है।यदि गरीब को नजूल नीति का फायदा नहीं मिला है,तो मेयर रामपाल की शपथ केसे पूरी हो गई, मेयर विवादित सभागार में कुर्सी पर किसी मुंह से बैठने की तैयारी कर रहे,क्या गरीबों को बेकबूफ और खुद को उस्ताद समझ रहे हैं। यह जनता है सब जानती है।मेयर को इसका जबाब जरूर देना। निगम के नेता प्रतिपक्ष पाषर्द मोनू निषाद ने आरोप लगाया कि निगम चुनाव से पहले मेयर ने गरीब को निशुल्क आवासीय पट्टा देने की बात कही थी।मेयर ने इसके लिए अपनी कुर्सी का त्याग करने का ड्रामा भी किया था।अभी तक एक भी गरीब को निशुल्क पट्टा नहीं मिला है। मेयर जनता के साथ छल करके अपनी कुर्सी पर बैठ रहे हैं। जनता इन्हें माफ नहीं करेगी। इधर मेयर राम सिंह ने कहा कि सरकार की नजूल नीति के तहत गरीबों को निशुल्क आवासीय पट्टा देने का काम शुरू हो गया है। उनका वचन शीघ्र पूरा हो जाएगा। उन्होंने जो भरोसा दिया था वह पूरा होगा। उन्होंने अपना वचन तोड़ने के आरोप को निराधार बताया।