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उत्तराखंड

56 माह,आंखों में घड़ियाली आंसू,संकल्प तार तार! रुद्रपुर के माहपौर की कहानी,विवादित भवन में कुर्सी पर ताजपोशी। गरीबों के साथ हुआ छल, जनता की अदालत में होगा फैसला

नरेन्द्र राठौर
रुद्रपुर ( खबर धमाका)। रुद्रपुर निगम में रविवार को जो हुआ है,वह एक इतिहास है। इसे ढोंगियों के लिए मौका और गरीब जनता के साथ धोखा कहे तो कम नहीं होगा, लेकिन एक पुरानी कहानी है, अंधेरे नगरी चौपट राज,टका सेर भाजी टका सेर खाजा है, तो फिर फिर कौन सवाल पूछेगा और कौन उत्तर देगा,यह सब चोर साहूकार है।

कुर्सी के संकल्प तोड़कर घड़ियाली आंसू बहाते रुद्रपुर महापौर रामपाल 
जी हां हम बात कर रहे हैं रुद्रपुर निगम की । अब से करीब 56 माह पहले चुनाव जीतकर माहपौर बने रामपाल सिंह ने गरीब जनता के लिए अपनी कुर्सी त्याग दी थी। उन्होंने जिस कुर्सी पर उन्हें बैठना चाहिए उसपर अपना घोषणापत्र रखा था, जिसमें कहा गया था की जब तक नजूल की जमीन पर बैठे गरीब लोगों को मालिकाना हक नहीं मिलेगा,तब तक वह अपनी कुर्सी पर नहीं बैठेंगे। इसको लेकर कई बार उन्होंने सुर्खियों भी बटोरी, गरीबों का मसीहा बनने का दिखावा भी किया, रविवार को मेयर रामपाल करोड़ों के विवादित सभागार में अपने वचन से परे होकर कुर्सी पर बैठ गए। उन्होंने कुर्सी पर बैठते ही घड़ियाली आंसू भी बहाए। कार्यक्रम में मेयर ने कहा की उनका वचन पूरा हो गया है, लेकिन कितने गरीबों को नजूल का हक मिला इसपर मेयर ने कोई बात नहीं की और न ही किसी गरीब को कोई पट्टा या मालिकाना हक मिला है इसका सबूत पेश किया। मेयर ऐसा करते ही कैसे, क्योंकि किसी गरीब को नजूल का मालिकाना हक मिला ही नहीं है, फिर रामपाल अपनी कुर्सी पर किस तरह बैठे हैं,यह भी बताने की जरूरत नहीं। आज पूरे शहर के गरीब इसे मेयर का जल बता रहे हैं। राजनीति विष्लेशकों की मानें तो मेयर यदि ऐसा नहीं करते तो फिर उन्हें कुर्सी पर बैठने का मौका कभी नहीं मिलता। आने वाले चुनाव में भी उन्हें पार्टी टिकट देगी इसकी उम्मीद बहुत कम है,इसकी पीछे उनके बेहद खराब कार्यकाल मुख्य बजह है। उनके कार्यकाल में पार्टी काफी असहज हैं, लेकिन सत्तापक्ष का मेयर होने की बजह से कार्यवाही नहीं हो रही है। लेकिन जनता की अदालत इसपर फैसला लेगी यह तय है। मेयर शहर से कूड़ा हटाने में नाकामयाब रहे हैं,तो कमीशनखोरी, गरीब वस्तियों की अनदेखी,अपने चहेतों पर मेहरबानी के आरोपों में मेयर हमेशा घिरे रहे हैं।
कुल मेयर महापौर रामपाल का आगे का सफर इतना आसान नहीं है। उन्होंने अपना संकल्प तोड़कर खुद अपने आप और जनता को धोखा दिया है।

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