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बहुचर्चित एनएच -74 घोटाला:जज ने अधिकारियों को लगाई लताड़। एसएलओ डीपी सिंह को मिली क्लीन चिट ख़ारिज,कोर्ट ने डीएम की रिपोर्ट पर खड़े किए सवाल 

नरेन्द्र राठौर(खबर धमाका)। उधमसिंह नगर के बहुचर्चित एनएच -74 घोटाला मामले में कोर्ट ने तीखी टिप्पणी की है। कोर्ट ने घोटाले के मुख्य आरोपी पीसीएस दिनेश प्रताप सिंह को शासन की ओर से मिली क्लीन चिट को ख़ारिज कर दिया है। हल्द्वानी की भ्रष्टाचार निरोधक विशेष अधिनियम के तहत गठित अदालत के विशेष न्यायाधीश द्वितीय अपर सेशन जज के आदेश के बाद शासन से जुड़े अधिकारी भी कठघरे में नजर आ रहे हैं जिनकी बदौलत आरोपी को क्लीन चिट मिली है। राष्ट्रीय राजमार्ग 74 (NH-74 )के विस्तारीकरण और पुनर्निर्माण के लिए अधिग्रहीत की गई भूमि का भू-उपयोग बदलवाकर करीबियों को लाभ दिलाने, आठ-दस गुना ज्यादा मुआवजा वितरित कर करीब 500 करोड़ रुपये की हेराफेरी करने के मामले में पीसीएस अधिकारी डीपी सिंह को कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। अनुशासनिक कार्रवाई में क्लीन चिट मिलने के बाद डीएम यूएसनगर की ओर से कोर्ट को पत्र लिखकर सिंह के खिलाफ चल रहे वाद को खत्म करने की बात कही गई थी। इस पर द्वितीय एडीजे ने सुनवाई जारी रखने के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश नीलम रात्रा ने घोटाले से जुड़े मुख्य बिंदुओं पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आरोपी और उसके साथियों पर मुकदमा जारी रहेगा। गौरतलब है कि जून 2024 में शासन की जांच रिपोर्ट में पीसीएस दिनेश प्रताप सिंह को क्लीन चिट दी गई थी। हरिद्वार से सितारगंज तक 252 किलोमीटर NH-74 के चौड़ीकरण के लिए साल 2012-13 में प्रक्रिया शुरू हुई थी। इस दौरान कुछ किसानो ने आरोप लगाया था कि अफसरों और कर्मचारियों ने दलालों से मिलीभगत कर बैकडेट में कृषि भूमि को अकृषि दर्शाकर करोड़ों रुपए का मुआवजा हड़प लिया है। कोर्ट ने 23 सितंबर को अपने आदेश में कहा था कि यहां पर न्यायालय जिला मजिस्ट्रेटम उधम सिंह नगर द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र कागज संख्या 272ख, जिस पर अभियोजन द्वारा बल दिया गया है। उसमें कोई बल नहीं पाती है। इस स्तर पर विभागीय अनुशासनिक कार्यवाही में बरी होने के आधार पर आरोपी को इस आपराधिक मामले में बरी नहीं किया जा सकता है। इस स्तर पर विभागीय अनुशासनिक कार्यवाही में बरी होने के आधार पर आरोपी को आपराधिक मामले में बरी नहीं किया जा सकता। न्यायालय इस सम्बन्ध में विस्तृत मत प्रकट कर चुकी है कि शासन के पास इस स्तर पर अभियोजन स्वीकृति वापस लेने का कोई अधिकार मौजूद नहीं था। उपरोक्त विवेचन के आधार पर जिला मजिस्ट्रेट, उधमसिंह नगर द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र 272ख, जिसे अभियोजन द्वारा बल दिया गया हर लिहाज में खारिज किए जाने योग्य है। न्यायाधीश ने उधम सिंह नगर के जिला मजिस्ट्रेट की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं। न्यायाधीश ने कहा कि अधिकारी भी आरोपी की पैरवी में उतर आए हैं। आदेश में जज ने सिस्टम को जमकर लताड़ा है। सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट की कुछ नजीरों का हवाला देते हुए कुछ दिन पहले डीएम यूएस नगर ने कोर्ट को पत्र लिखकर सिंह के खिलाफ मुकदमा नहीं चलाने की बात कही थी। इस पर कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया। कोर्ट ने टिप्पणी में कहा कि ‘किसी जिला मजिस्ट्रेट को सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट की नजीरों का उल्लेख कर अपनी राय रखते हुए आरोपी को दोषमुक्त कर वाद समाप्त करने और कार्यवाही न करने का पत्र लिखने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि ‘इससे केवल आरोपी को बचाने के लिए शासन-प्रशासन की मिलीभगत प्रदर्शित होती है।’ पूरे मामले में अभियोजन अधिकारी दीपा रानी और एडीजीसी गिरजा शंकर पांडे ने मजबूती से पक्ष रखा।

आठ आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल

उत्तराखंड के एनएच 74 घोटाले में मुख्य आरोपी रहे पीसीएस अफसर दिनेश प्रताप सिंह समेत आठ आरोपियों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आरोपपत्र (चार्जशीट) दाखिल कर दिया है। स्पेशल ईडी कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 13 नवंबर की तिथि नियत की है।

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