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ईश्वर लिखेगा उनके कर्मों की कहानी.. ।हक की लड़ाई को आंदलनों कर श्रमिकों पर बर्बरता से हर कोई हैरान‌।सिस्टम की भूमिका सवालों के घेरे में।पूंजिपतियों की धनलक्ष्मी से सुंन हो गया है श्रम विभाग!

नरेन्द्र राठौर(खबर धमाका)। कहते कि ऊपर वाले कुछ लाठी में आवाज नहीं होती।जब इंसान की कहीं भी सुनवाई नहीं होती तो उसे सिर्फ ईश्वर,खुदा पर भरोसा रह जाता है।और ईश्वर न्याय जरुर करता है। वह उन लोगों को साथ भी न्याय करता है, जिनके साथ अन्याय होता है,और उन लोगों के साथ भी न्याय करता है,जो इसके जिम्मेदार है।

हम बात कर रहे पंतनगर सिडकुल में संचालित डाल्फिंन कंपनी के श्रमिकों के आंदोलन की। श्रमिक पिछले दो माह से रुद्रपुर के गांधी पार्क में धरना दे रहे हैं। पिछले एक सप्ताह से आठ महिला व पुरुष श्रमिकों ने अमरण अनशन शुरू कर दिया था। जिसकी उन्होंने बकायदा लिखित में सूचना डीएम कार्यालय और सीएमओ कार्यालय को दी थी, लेकिन चार दिन स्वस्थ महकमे ने उनके सुध नहीं ली,इधर अनशनकारी श्रमिकों की हालत बिगड़ते लगी तो स्वस्थ्य महकमें का याद आई, जिसके बाद प्रशासन और पुलिस मामले का पटाक्षेप कराने की जगह सिर्फ श्रमिकों पर ही दबाव बनाता नजर आया। बीती रात जो वीडियो वायरल हुई, उसने ने हद ही कर दी। तस्वीरें पूरी तरह शर्मशार और झकझोर देने वाली है।हर कोई इसको लेकर सवाल उठा रहा है।

यह बात दे कि पिछले दो माह आंदोलन कर रहे डाल्फिंन कंपनी के मामले के पटाक्षेप के लिए डीएम उदयराज सिंह ने कमेटी का गठन किया था, जिसमें एडीएम नजूल, डीएलसी, विधायक समेत पांच लोग शामिल थे, श्रमिकों कंपनी की हर बात मानने को तैयार थे, लिखित में भी समझौता हुआ, लेकिन कंपनी प्रबंधन ने सभी समझते मानने से इंकार कर दिया। श्रमिकों का साफ कहना था कि एडीएम और डीएलसी की भूमिका पूरे मामले में संदिग्ध है।आरोप तो धनलक्ष्मी वर्षा के भी है, हालांकि हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं। कहावत है कि ऐसा पीर न वैसा पीर सबसे बड़ा है पैसा पीर। माना जा रहा कि श्रमिकों की मांग कहीं न कहीं धनलक्ष्मी के दबाव में दब गई है। आरोप तक कई और भी है। आज से अनशन पर बैठे आम आदमी पार्टी के नेता सतपाल ठुकराल की मानें पिछले दिनों उनकी एडीएम से मुलाकात हुई थी, उन्होंने कहा था कि अमरण अनशन पर बैठीं महिलाओं की जान जा सकती है, जिसपर एसडीएम कहां था कि इस देश में 150 करोड़ की जनता है,एक या दो के मरने से क्या फर्क पड़ेगा।जिस अधिकारी की सोच ऐसी हो, उससे न्याय की उम्मीद बेमानी है। यह के डीएलसी की भी पुरानी पृष्ठभूमि बहुत अच्छी है, सूत्रों की मानें वह बड़े बड़े खेल कर रहे यानी,जिस काम के लिए उनकी तैनाती हुई है,वह ठीक उसके उलट काम कर रहे हैं। यानी पूंजीवादी व्यवस्था के समाने सभी नतमस्तक हो गए हैं। मजदूर किसान देश की रीड होते हैं। यह बात सरकार और सिस्टम कहता तो है, लेकिन धरातल पर इसकी हकीकत कुछ अलग ही है।

श्रमिक नेताओं का साफ कहना है कि ऊपर बैठा ईश्वर इसका न्याय करेगा। दोषियों को उसकी सजा मिलेगी।ऊपर के यह देर है, अंधेर नहीं है।जो जैसा करता है,उसे इसी जन्म में उसका फल भी मिलेगा

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