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उत्तराखंड

तथाकथित बाबा रामपाल की किताबों को लेकर अटरिया मेला में हंगामा। हिन्दू संगठनों ने लगाया किताबों में हिन्दू देवी-देवताओं के अपमान का आरोप। एक किताब में श्रीकृष्ण के रथ पर सवार है सजायफ्ता कैदी रामपाल। पढ़ें बाबा की पूरी कहानी, पकड़ने के लिए पुलिस को करनी पड़ी जंग, चार महिलाओं एक बच्चे की हुई थी मौत,बड़ी संख्या में घायल हुए थे लोग

नरेन्द्र राठौर
रुद्रपुर। तथाकथित संत बाबा रामपाल की जगह जगह बिक रही किताबों को लेकर रविवार रुद्रपुर के अटरिया मेला में हंगामा खड़ा हो गया। हिंदू बांदी संगठनों ने किताबों में हिन्दू देवी देवताओं का अपमान करने का आरोप लगाकर हंगामा किया तो पुलिस ने मौके पर पहुंचकर किताबें बेचने वाले कई लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया। पुलिस काफी संख्या में किताबें भी बरामद की है।

 

भाजपा के नगर महामंत्री राधेश शर्मा की मानें तो किताबों हिन्दू देवी देवताओं का खुला अपमान किया गया,गीता लिखी एक किताब में श्रीकृष्ण के रथ में जेल में बंद हत्यारा सजायफ्ता कैदी रामपाल सवार है। किताबों पम्पलैटो में कई ऐसे सवाल हैं,जो हिन्दू संस्कृति और देवी देवताओं का अपमान कर रहे। सवाल यह की वर्ष 2014 से जेल में बंद देशद्रोही सजायफ्ता कैदी की किताबें कौन बेच रहा है। यह पहला मामला नहीं,शहर की सड़कों,चौराहो पर जगह जगह, लोग रामपाल की किताबें बेचते नजर आते हैं। पिछले दिनों तो उसके चाहने वालों ने एक शोभा यात्रा भी निकाली थी।

पढ़ें तथिकथित बाबा रामपाल की पूरी कहानी
दरासल हरियाणा के सोनीपत क्षेत्र में रहने वाला रामपाल 71 साल पहले सोनीपत का गांव धनाना
पहले हरियाणा सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनिय और फिर बाबा और संत बन गया था। दिल्ली से सटे हरियाणा के सोनीपत जिले की हद में यहां की तहसील है गुहाना. गुहाना तहसील में स्थित है गांव धनाना. इसी धनाना गांव के मूल निवासी और पेशे से किसान भगत नंदराम और भगतमती इंद्रो देवी के घर में जन्मा था
बताया जाता है कुछ इंजीनियरिंग से बाबा बने रामपाल ने बकायदा एक आश्रम बना रखा था,जहां पर बड़ी संख्या में महिलाएं भी रहती थी। इधर बाद में रामपाल के आश्रम से अवैध धंधे, महिलाओं के शोषण की खबरें बाहर आने लगी, बाबा ने 2014 में एक आर्य समाज के अनुयाई की हत्या कर दी। इधर पुलिस ने जब पर शिकंजा कसने की कोशिश की तो बाबा का आश्रम जंग का मैदान बन गया।बाबा के अनुयायियों ने पुलिस को आश्रम नहीं घुसने दिया। जिसके बाद हरियाणा- चंडीगढ़ हाईकोर्ट ने बाबा को गिरफ्तार करने के आदेश दिए थे

मनहूस 18-19 नवंबर 2014
18 दिन की लुकाछिपी के अंतिम दो दिनों की खूनी टक्कर लेने के बाद, अंतत: सतलोक अड्डे के रामपाल दास को हरियाणा पुलिस ने दबोच ही लिया. मीडिया में मौजूद रिपोर्ट्स और हरियाणा पुलिस के मुताबिक, तमाम ऐबों का अड्डा बने रामपाल के आश्रम को तहस-नहस करने में कई बेकसूर लोग जाने-अनजाने में ही मारे गए. मरने वालों में चार महिलाएं और बच्चा शामिल था. कई पुलिस जवानों, पत्रकारों, आमजनों सहित 100 से ज्यादा लोग बुरी तरह जख्मी हो गए. कोर्ट कचहरी और पुलिसिया दस्तावेजों में दर्ज मजमून के मुताबिक, जिस वक्त रामपाल के अड्डे के अंदर-बाहर उसके अंधभक्तों और हरियाणा पुलिस के बीच खूनी जंग छिड़ी हुई थी, तब रामपाल अड्डे के अंदर ही छिपा हुआ था. वो अपने भक्तों को पुलिस के सामने सरेंडर करने-कराने के बजाए उन्हें, पुलिस से खूनी टक्कर लेने के लिए उकसा रहा था. इस बाबा के अड्डे में जब पुलिस घुसी तो अंदर का मंजर देखकर पुलिस चकरा गई. खुद को संत बताने वाला और खुद को कबीर का अनुयायी गाने-बजाने वाला रामपाल तो किसी खतरनाक गैंगस्टर से भी ज्यादा ऊपर का अपराधी निकला. वरना भला किसी संत या बाबा के आश्रमनुमा “अड्डे” से पुलिस को बम, हथियार, तेजाब या उसके जैसी अन्य तमाम संदिग्ध चीजें कैसे मिलतीं?

रामपाल जिसकी गिरफ्तारी का आदेश हरियाणा-चंडीगढ़ हाईकोर्ट को भी देना पड़ गया था. वही बाबा रामपाल जिसे बेनकाब करने की कोशिश में उसका सतलोक अड्डा (आश्रम) बन गया था. बेकसूरों की कब्रगाह! वही रामपाल दास, जिसके चेहरे से संत का नकाब हटाकर उसका असली चेहरा जमाने के सामने लाने की खूनी-कोशिशों में मारी गई थीं चार महिलाएं और एक बच्चा. वही रामपाल जिसे काबू करने के लिए हरियाणा पुलिस को इस्तेमाल करने पड़ गए थे हथगोले-बंदूक यानी गोला-गोली बारुद और बख्तरबंद वज्र वाहन. इस बाबा और आज के सजायाफ्ता मुजरिम को हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा मुकर्रर की जा चुकी है. भले ही उसे कुछ मामलों में कोर्ट ने बरी क्यों न कर दिया हो, लेकिन अन्य मामलों में सजायाफ्ता मुजरिम होने के चलते उसे सन 2014 में जेल में बंद किए जाने के बाद से बाहर की दुनिया नहीं देखने दी गई है.

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