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उत्तराखंड

ऐतिहासिक ग्राम सभा धारकोट बना पर्यटन संस्कृति और जैव विविधता का अदभुत केंद्र

नरेन्द्र राठौर (खबर धमाका)।  इकोसंस्कृति कलेक्टिव (EcoSanskriti Collective), एक सामाजिक सस्था जो उत्तराखंड और कर्नाटक में सक्रिय है, ने 4 से 6 अक्टूबर तक टिहरी गढ़वाल के धारकोट में बायोक्वेस्ट 2024 के दूसरे संस्करण का आयोजन किया।

बायोक्वेस्ट एक वार्षिक सिटिजन साइंस पहल है, जो छात्रों, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और धारकोट की स्थानीय समुदाय के सहयोग से संचालित की जाती है। टिहरी गढ़वाल जिले के धारकोट गाँव का ऐतिहासिक महत्व है, जब यह गढ़वाल राज्य का रियासतकालीन हिस्सा था। इतिहास से परे, यह स्थान जैव विविधता का एक हॉटस्पॉट भी है, जहां वनस्पतियों और जीवों की समृद्ध विविधता पाई जाती है। कार्यक्रम के प्रमुख उद्देश्य क्षेत्र की विविध वनस्पतियों और जीवों की गणना करना, टिहरी गढ़वाल के दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियों के बारे में जागरूकता बढ़ाना, और उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को प्रतिभागियों के सामने प्रदर्शित करना है।

इस कार्यक्रम में डॉल्फिन पीजी इंस्टीट्यूट और दून बिजनेस स्कूल, देहरादून के वन विज्ञान के छात्रों ने भाग लिया। इसमें भारत के विभिन्न राज्यों जैसे अंडमान और निकोबार, कर्नाटक, तमिलनाडु और उत्तराखंड के प्रतिभागियों का विविध मिश्रण था। कार्यक्रम के तहत जैव विविधता जनगणना के दौरान धारकोट क्षेत्र में एक दिन में 1000 से अधिक अवलोकन और 400 प्रजातियों की पहचान की गई।

पहले दिन प्रतिभागियों को श्री हरीश (Harry) नेगी के नेतृत्व में धारकोट गाँव की एक हेरिटेज वॉक पर ले जाया गया। वॉक के दौरान, प्रतिभागियों को पारंपरिक पर्यावरण-संवेदनशील पथाली घर दिखाए गए, जो अब भी धारकोट के समृद्ध इतिहास को झलकाते हैं । वॉक का समापन धारकोट के स्थानीय लोक कलाकारों द्वारा पारंपरिक ढोल दमाऊ प्रदर्शन के साथ हुआ।

दूसरे दिन, विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में प्रतिभागियों ने धारकोट के आसपास की जैव विविधता का सर्वेक्षण किया। प्रतिभागियों ने पौधों, स्तनधारियों और तितलियों एवं मकड़ियों जैसे कीटों की विस्तृत विविधता का अवलोकन किया। सभी अवलोकन iNaturalist ऐप का उपयोग करके डिजिटल रूप से दर्ज किए गए। सर्वेक्षण के हिस्से के रूप में 400 से अधिक प्रजातियों को दर्ज किया गया। जनगणना के बीच, डॉ सास बिस्वास और श्री योगेंद्र नेगी जैसे विशेषज्ञों द्वारा स्थानीय वनस्पतियों और जीवों पर व्यावहारिक जानकारी साझा की गई। कार्यक्रम के हिस्से के रूप में विभिन्न स्थानों पर श्री कुलदीप सिंह सेंगर के नेतृत्व में हाई-टेक कैमरा ट्रैप भी लगाए गए। ये कैमरे दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियों की आबादी की निगरानी और आकलन करने में मदद करेंगे और शिकार गतिविधियों के खिलाफ एक निवारक के रूप में भी काम करेंगे। प्रतिभागियों को स्थानीय गढ़वाली व्यंजनों जैसे गहत दाल से बने पराठे और स्थानीय चटनी का स्वाद भी चखने को मिला, जो श्री विजयपाल नेगी के पूरे परिवार के प्रयासों से संभव हुआ।
शाम को एक मिनी हाट का आयोजन किया गया, जिसमें श्री मनीष भंडारी और श्री विजयपाल सिंह नेगी जैसे स्थानीय उद्यमियों द्वारा बनाए गए उत्पादों का प्रदर्शन किया गया। उत्पादों में स्थानीय रूप से बने अचार जैसे तिमला, आंवला और करेला, जख्या, पहाड़ी नमक और recycled उत्पाद जैसे रस्सियाँ और लिफाफे शामिल थे। बेंगलुरु की एक प्रसिद्ध नैचुरलिस्ट श्रीमती दीपा मोहन ने जैव विविधता जनगणना के हिस्से के रूप में कैद कई प्रजातियों की एक फोटो डॉक्यूमेंट्री दिखाई। इसके बाद श्री योगेंद्र नेगी द्वारा धारकोट के आसपास के स्थानीय वन्यजीवों पर एक सूचनात्मक वार्ता हुई। इकोसंस्कृति कलेक्टिव के निदेशक डॉ सास बिस्वास ने पुरस्कार समारोह के हिस्से के रूप में सभी प्रतिभागियों को संबोधित किया, जहाँ उन्होंने वन्यजीव संरक्षण से आजीविका को जोड़ने की आवश्यकता पर जोर दिया। इसके बाद उत्तराखंड चैप्टर के प्रमुख सदस्यों, जिन्होंने बायोक्वेस्ट के आयोजन में मदद की, को सम्मानित किया गया। इसमें उत्तराखंड चैप्टर के प्रमुख श्री योगेंद्र नेगी एवं सदस्य , श्री हरीश नेगी और श्री विजय पाल सिंह नेगी शामिल थे।

तीसरे दिन, सभी प्रतिभागियों को सुबह रजाखेत के आसपास श्रीमती दीपा मोहन के नेतृत्व में बर्ड वॉक (bird walk) के लिए ले जाया गया। प्रतिभागियों को वहाँ 50 से अधिक रंगीन पक्षी प्रजातियाँ दिखाई गईं। इसके बाद डॉ सास बिस्वास द्वारा प्रकृति जर्नलिंग (nature journalling) सत्र आयोजित किया गया, जिसमें प्रतिभागियों को अवलोकन कला से परिचित कराया गया।

इकोसंस्कृति कलेक्टिव के संस्थापक ऋषव बिस्वास और श्रीमती श्रेया सिन्हा का उद्देश्य धारकोट को स्थानीय समुदाय के समर्थन से वन आधारित इको-टूरिज्म (eco-tourism) के लिए एक आदर्श गाँव के रूप में विकसित करना है। उनका दृष्टिकोण इस क्षेत्र की पारिस्थितिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित और बढ़ावा देना और स्थायी आजीविका को बढ़ावा देना है। स्थानीय राजदूतों जैसे योगेंद्र नेगी, हरीश नेगी और विजयपाल सिंह नेगी की मदद से, वे स्थानीय युवाओं को प्रमाणित नैचुरलिस्ट बनने में मदद करना और स्थानीय कारीगरों की मदद से पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों का विकास करना चाहते हैं। आने वाले समय में ये गतिविधियाँ स्थायी पर्यटन और स्थानीय समुदाय के लिए आजीविका का एक स्रोत बन सकती हैं।”

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