Latest:
उत्तराखंड

यह कैसा चुनाव,न शोर न उत्साह!चाय की दुकान और चौराहें भी गुमसुम।मतदाताओं के मन में कुछ तो राज छिपा है!

नरेन्द्र राठौर 

रुद्रपुर(खबर धमाका)। नैनीताल ऊधमसिंहनगर संसदीय सीट पर चुनाव को अब महज तीन दिन बचे हैं, बुधवार की शाम को प्रचार समाप्त हो जायेगा, जिसके 24 घंटे बाद सभी अपना वोट डालने को लाइन में लगे होंगे। प्रशासन मतदाताओं को बूथ तक लाने के लिए जमकर पसीना वहा रहा है। नेताओं की सभा भी हो रही है, जिसमें कोई अपने विकास को तो कोई नाकामी को मुद्दा बना रहा है। लेकिन चुनाव में लोगों की खामोशी नहीं टूट पड़ा रही है,हर तरफ सन्नाटा है। उत्साह नाम की कोई चीज नजर नजर नहीं आ रही, चौराहे और चाय की दुकान भी सूनी है। इसके पीछे मुख्य बजह यह भी है।                                                      आखिर यह सब क्यों हो रहा है, मतदाता खामोश क्यों है? क्या उसके मन में कोई बड़ा राज छुपा है,या फिर वार बार के चुनावों ने उसे बोर कर दिया है। इसके पीछे मुख्य वजह यह भी है कि चुनाव प्रचार चंद क्षेत्रों तक सीमित है,अभी भी बड़ी आबादी तक प्रत्याशी तो प्रत्याशी उसके पदाधिकारी कार्यकर्ता भी नहीं पहुंचे हैं। और प्रचार घर पर तक पहुंचने की जगह शोसल मीडिया पर ही लडा था रहा है।                                                                    रम्पुरा निवासी कमल बताते हैं,कि वह खुद असमंजस में है,वह अब तक भाजपा से जुड़े रहे हैं, लेकिन भाजपा प्रत्याशी अपनी जगह मोदी के नाम पर वोट मांग रहे हैं। उनकी खुद की पांच वर्ष की कोई उपलब्धि नहीं है। मन में सवाल उठ रहा कि ऐसे व्यक्ति को फिर वोट दूं या नहीं!                                                      शिवनगर निवासी देवेश का विचार भी बड़ा हैरान करने वाला है,उसकी मानें तो स्थानीय मुद्दों पर कोई बात नहीं कर रहा है। रुद्रपुर में बाढ की समस्या जब की तस है, तीन वर्ष पहले आई बाढ ने कितनी तबाही मचाई थी, लेकिन धरातल पर उससे निपटने का एक काम नहीं हुआ। वस्तियों में बुरा हाल है। सांसद महोदय का चार वर्ष तक चेहरा भी नहीं देखा था‌ अब वह कह रहे मोदी के नाम पर वोट दे दो,वह अब तक मोदी के नाम पर वोट देते रहे हैं, लेकिन इस बार मन ठहरा हुआ है। मतदान के दिन ही फैसला लेंगे।        कमल और देवेश जैसे कितने लोगों से हमारी बात हुई सब कहीं न कहीं ठहरे हुए और असमंजस में नजर आए।                      जबकि मतदाता खुल कर अपना विचार व्यक्त करता था, चौराहे और चाय की दुकानों पर लोग अपने पसंदीद नेता और पार्टी की खुलकर तरफदारी करते देखे जाते थे। लेकिन इस बार ऐसा कम ही नजर आ रहा है।                                                        पार्टियों के झंडे उठाने वाले भी नारा तो उस पार्टी का लगा रहे हैं, लेकिन उनके मन में भी कहीं न कहीं हार का डर छिपा हुआ है।    अब मतदाताओं की खामोशी का राज क्या है,यह चुनाव बाद जब मतगणना होगी तभी खुलेगा।

error: Content is protected !!